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HPCL ने पेट्रोलियम मंत्रालय को भी दिखाया ठेंगा

सड़क किनारे पेट्रोल-डीजल बेचकर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ का मामला

 

सन्तोष खाचरियावास
अजमेर। छह महीने तक नियम विरुद्ध सड़क किनारे मशीनें लगा पेट्रोल डीजल बेचकर आमजन की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाली देश की प्रतिष्ठित कम्पनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. ने इस बार पेट्रोलियम मंत्रालय को भी ठेंगा दिखा दिया है।
कम्पनी के कोटा रीजन के वरिष्ठ प्रबंधक ने ‘चार लाइनों’ का जवाब देकर शिकायत कर्ता के साथ ही पेट्रोलियम मंत्रालय की भी बोलती बंद करने की कोशिश की है। हालांकि उन्होंने इस बार भी कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं दिया है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने कम्पनी की तरफ से पूर्व में दिए गए जवाब को खारिज करते हुए तत्काल जरूरी एक्शन लेकर शिकायत कर्ता एवं मंत्रालय को अवगत कराने की हिदायत दी थी लेकिन कम्पनी के उच्चाधिकारियों ने इस हिदायत को कोई तवज्जो नहीं दी।
कम्पनी के कोटा रीजन के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक (खुदरा) रिशु चौधरी ने पूर्व में दो बार भेजे अपने जवाबों में कम्पनी के कदम को सही ठहराने की कोशिश की थी लेकिन 6 महीनों तक नियमों से जो खिलवाड़ हुआ, उसकी जवाबदेही तय नहीं कर पाए। ना ही किसी को दंडित किया गया।
 शिकायत कर्ता ने रीजनल मैनेजर रिशु चौधरी को पुनः ई-मेल भेजकर कुछ बिंदुओं पर स्पष्ट जानकारी मांगी थी। इस ई-मेल की प्रति पेट्रोलियम मंत्री हरदीपसिंह पुरी सहित पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव ऑर्गेनाइजेशन (PESO) को भी भेजी।
पेट्रोलियम मंत्री के निर्देश पर मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए पीजी पोर्टल पर स्वयं ही शिकायत कर्त्ता की तरफ से नई शिकायत दर्ज कराई और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन को तत्काल जरूरी एक्शन लेने एवं सभी बिंदुओं पर सन्तुष्टि पूर्ण जानकारी देने की हिदायत दी थी। लेकिन कम्पनी प्रबंधन ने सिर्फ इतना सा लिखकर अहसान कर दिया कि ‘अब तो कम पूरा हो गया।’ यानी अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता !

यह दी थी हिदायत

इन बिंदुओं पर देनी है जानकारी

इन चार लाइनों में निपटाया

कम्पनी प्रबंधन की तरफ से 30 सितम्बर को भेजा गया पत्र।

यह है मामला

रेलवे अस्पताल के पास ब्यावर रोड स्थित अनिल पेट्रोल पंप पर सड़क किनारे यूं पेट्रोल-डीजल की मशीनें लगाकर 6 महीने तक नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं।
अजमेर में रेलवे अस्पताल के पास ब्यावर रोड स्थित हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पेट्रोल पंप अनिल सर्विस सेंटर पर बिल्कुल सड़क के किनारे डिस्पेंसर यूनिट्स लगाकर पेट्रोल-डीजल की बिक्री की जा रही थी। यहां नवीनीकरण एवं आधुनिकीकरण कार्य चल रहा है। निर्माण कार्य के दौरान अतिज्वलनशील पेट्रोल डीजल की बिक्री नहीं की जा सकती लेकिन कम्पनी ने अपनी कमाई को प्राथमिकता देते हुए एक दिन भी बिक्री बंद नहीं की। उलटा पेट्रोल डीजल की डिस्पेंसर यूनिटें बिलकुल सड़क किनारे स्थापित कर धड़ल्ले से बिक्री जारी रखी।
6 माह तक इस पम्प पर पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) के सुरक्षा मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई। बड़े हादसे की आशंका को लेकर एक क्षेत्रवासी ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत भेजी तो एचपीसीएल के रीजनल मैनेजर ने 30 अगस्त को गोलमोल जवाब देकर शिकायत बंद कर दी। बाद में दबाव बढ़ने पर कम्पनी ने सड़क किनारे लगाई गई मशीनें आनन फानन में पीछे शिफ्ट कर लीं।
इसके बाद रीजनल मैनेजर ने 9 सितंबर को एक और पत्र भेजकर स्वीकार कर लिया कि पेट्रोल पंप पर आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई कर ली गई है जबकि तीसरी डिस्पेंसर यूनिट उनके पत्र भेजने के 8 दिन बाद यानी 17 सितंबर को हटाई गई थी।

इन बिंदुओं पर दस्तावेजी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए

  • -कम्पनी ने अपने पेट्रोल पंप अनिल सर्विस सेंटर पर नवीन भवन निर्माण कराने के लिए अजमेर नगर निगम से अनुमति ली या नहीं, मानचित्र स्वीकृत कराया या नहीं?
  • -कम्पनी ने आधुनिकीकरण कार्य के दौरान अस्थायी रूप से सड़क किनारे डीयू लगाकर 6 माह तक पेट्रोल डीजल की बिक्री जारी रखी। क्या PESO के नियमानुसार सड़क किनारे डीयू मशीनें स्थापित की जा सकती है?
  • -पेट्रोल पंप पर निर्माण कार्य, वैल्डिंग कार्य आदि होते समय पेट्रोल डीजल की बिक्री जारी रखना सुरक्षित है या नहीं? क्या कम्पनी ने इसके लिए किसी विभाग या संगठन से कोई अनुमति ली?
  • -पेट्रोल पंप पर निर्माण कार्य और पेट्रोल डीजल की बिक्री साथ साथ जारी रखने से भीषण अग्निकांड का अंदेशा रहता है। क्या कम्पनी ने कोई सुरक्षा उपाय किए अथवा अग्निशमन विभाग को सूचित किया?
  • -पेट्रोल पंप पर निर्माण कार्य जारी रहने के दौरान ग्राहकों को पूरे 6 माह तक शुद्ध पेयजल, टॉयलेट और वाहनों में फ्री हवा भरने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई। क्या कम्पनी ने इस सम्बंध में मंत्रालय से कोई विशेष छूट प्राप्त की थी।

सुलगते सवाल

क्या बड़ी कम्पनियों को मामूली फायदे के लिए सैकड़ों लोगों की जान से खिलवाड़ की इजाजत है…?
क्या पेट्रोल पंपों पर सुरक्षा के कड़े नियम केवल दिखावटी हैं…?
क्या 6 महीने तक अपराध कारित करने के बाद कोई अपनी ‘गलती’ सुधार ले तो वह दण्ड से बच सकता है…?
 कम्पनी ने भले ही बाद में मशीनें शिफ्ट कर ली हों लेकिन छह महीने तक जो अपराध हुआ, उसकी जवाबदेही क्यों नहीं ली जा रही है?

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