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अजमेर में HPCL को अपने पेट्रोल पंप पर एक और मशीन हटानी पड़ी

रीजनल मैनेजर का दावा पहले आया, मशीन 8 दिन बाद शिफ्ट

कब थमेगा आमजन के जीवन से खिलवाड़ ? 

17 सितंबर की सुबह अनिल पेट्रोल पंप पर डीयू मशीन हटाते कर्मचारी।
सन्तोष खाचरियावास
अजमेर। सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. को अपने पेट्रोल पंप पर गलत जगह लगाई गई एक और डिस्पेंसर यूनिट आनन फानन में हटानी पड़ गई है। इससे पहले सड़क किनारे लगाई गई दो डिस्पेंसर यूनिटों को भी पीछे खिसकाना पड़ा था।  कम्पनी ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत पहुंचने और ‘न्यूज नजर डॉट कॉम’ में यह मामला उजागर होने के बाद मंगलवार को एक और डिस्पेंसर यूनिट को पीछे शिफ्ट कर दिया है। रोचक बात यह है कि कम्पनी प्रबंधन ने 9 सितंबर को शिकायत कर्ता को भेजे पत्र में सभी डिस्पेंसर यूनिट निर्धारित स्थान पर शिफ्ट करने का दावा कर दिया था जबकि तीसरी मशीन आठ दिन बाद 17 सितंबर को हटाई गई। यानी निचले स्तर पर सेल्स ऑफिसर और डीलर ने अपने आरएम को भी गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

यह है मामला

अजमेर में रेलवे अस्पताल के पास ब्यावर रोड स्थित हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पेट्रोल पंप अनिल सर्विस सेंटर पर बिल्कुल सड़क के किनारे डिस्पेंसर यूनिट्स लगाकर पेट्रोल-डीजल की बिक्री की जा रही थी। यहां नवीनीकरण एवं आधुनिकीकरण कार्य चल रहा है। निर्माण कार्य के दौरान अतिज्वलनशील पेट्रोल डीजल की बिक्री नहीं की जा सकती लेकिन कम्पनी ने अपनी कमाई को प्राथमिकता देते हुए एक दिन भी बिक्री बंद नहीं की। उलटा पेट्रोल डीजल की दो डिस्पेंसर यूनिट बिलकुल सड़क किनारे स्थापित कर धड़ल्ले से बिक्री जारी रखी।
6 माह तक  इस पम्प पर पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) के सुरक्षा मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही थी, लेकिन ना तो जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन ने ध्यान दिया और ना ही नगर निगम या किसी जनप्रतिनिधि ने जनता की सुरक्षा की परवाह की। जिला रसद विभाग भी सोता रहा जबकि हादसा होने पर बचाव की सबसे बड़ी जिम्मेदारी इन्हीं पर है।
इस पेट्रोल पंप पर आधुनिकीकरण के नाम पर एचपीसीएल दो मंजिला भवन बनवा रही है। नया इंफ्रास्ट्रक्चर डवलप किया जा रहा है। पेट्रोल डीजल के तीन भूमिगत टैंक बदले गए हैं। पुराने टैंक निकालकर उनकी जगह नए टैंक स्थापित किए गए हैं। हैरत की बात है कि यहां एक दिन भी पेट्रोल-डीजल की बिक्री बंद नहीं की गई और ये सभी कार्य अंजाम दे दिए गए हैं।
PESO से स्वीकृति एक्सप्लोसिव नक्शे के विपरीत मनमर्जी से पुराने आइलैंड हटाकर नई जगह नए आइलैंड स्थापित कर पेट्रोल-डीजल की बिक्री की जा रही थी। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि निर्माण कार्य और पेट्रोल की बिक्री साथ-साथ जारी है जबकि सुरक्षा मानकों के तहत पेट्रोल पंप पर कोई भी निर्माण कार्य, वैल्डिंग कार्य आदि होने पर सबसे पहले पेट्रोल-डीजल की बिक्री बंद कर दी जानी चाहिए।

मनमर्जी से बदल दी थी मशीनों की जगह

पेट्रोल पंप स्थापित करने के दौरान PESO से एक्सप्लोसिव लाइसेंस लिया जाता है जिसमें पूरा नापचौप कर सुरक्षा के लिहाज से मुख्य मार्ग से निर्धारित दूरी पर आइलैंड्स बनाकर उन पर पेट्रोल-डीजल की डिस्पेंसर यूनिट्स स्थापित करने की अनुमति दी जाती है। बाद में ये डिस्पेंसर यूनिट्स अपने स्थान से एक इंच भी इधर-उधर करने के लिए PESO से ही अनुमति लेनी होती है। लेकिन यहां कम्पनी ने अपने फायदे के लिए PESO के इस अहम नियम को भी गौण कर सड़क किनारे डिस्पेंसर यूनिटें लगा दी थी।
बाद में मामला गरमाने पर गत शुक्रवार-शनिवार को रातोरात सड़क किनारे लगाई गई मशीनें पीछे शिफ्ट कर ली गई। बाद में मंगलवार की सुबह तीसरी मशीन भी हटाकर अपने निर्धारित स्थान पर शिफ्ट कर दी गई है।

इसलिए जरूरी था मशीनें हटाना

यहां एचपीसीएल ने पेट्रोल-डीजल बिक्री के लिए मुख्य सड़क (आम रास्ता) से महज डेढ़ मीटर दूर दो डीयू मशीनें लगा दी थी। यहां मुख्य सड़क पर ही खड़े वाहनों में पेट्रोल-डीजल भरा जा रहा था। मुख्य मार्ग होने के कारण यहां कभी भी गम्भीर हादसा हो सकता था। नियमानुसार पेट्रोल-डीजल की बिक्री बंद करके ही पेट्रोल पंप का रिनोवेशन या नवीन निर्माण कार्य हो सकता है। लेकिन यहां सुबह 5 बजे से लेकर रात्रि 11 बजे तक लगातार पेट्रोल-डीजल की बिक्री जारी है।
साथ ही सड़क किनारे डीयू मशीनें होने से कोई वाहन भी उनसे टकरा सकता था। इसी पम्प के नजदीक HPCL के ही एक अन्य पेट्रोल पंप गंगवाल फिलिंग स्टेशन पर ऐसा ही हादसा हो चुका है लेकिन कम्पनी ने सबक नहीं लिया।
इस पम्प के नजदीक ही दो स्कूल संचालित हैं जिनमें हजारों बच्चे पढ़ते हैं। इस पम्प के सामने ही रेलवे अस्पताल है जिसमें सैकड़ों मरीज भर्ती रहते हैं। मुख्य मार्ग पर दिनभर सैकड़ों लोगों एवं वाहनों की आवाजाही रहती है। अब भी यहां पेट्रोल डीजल की बिक्री और निर्माण कार्य साथ-साथ हो रहे हैं। ऐसे में हजारों स्कूली बच्चों, मरीजों और राहगीरों की जान खतरे में पड़ सकती है।

राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री कार्यालय को किया गुमराह

अनिल पेट्रोल पंप पर बरती जा रही गम्भीर लापरवाही से आशंकित एक क्षेत्रवासी ने राष्ट्रपति हेल्पलाइन और प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। साथ ही पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन के चीफ कंट्रोलर को भी शिकायत दी। विडम्बना यह है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने स्वयं जांच कराने की बजाय यह शिकायत हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. को ही भेज दी। कम्पनी प्रबंधन ने अपना फायदा देखते हुए लीपापोती करते हुए और कम्पनी की लापरवाही को जायज ठहराते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय को गुमराह कर शिकायत बंद कर दी है। और 30 अगस्त को शिकायत कर्ता को गोलमाल जवाब भेज दिया।
30 अगस्त को शिकायत कर्ता को भेजा गया पत्र।

बाद में कम्पनी ने घुमा-फिराकर मान ही लिया…

कम्पनी द्वारा 9 सितंबर 24 भेजा गया पत्र।
इस सिलसिले में HPCL के रीजनल मैनेजर ने शिकायत कर्ता को 9 सितंबर को पत्र भेजा जिसमें कहा गया है कि आवश्यक सुरक्षा उपाय करने के लिए डीलर को परामर्श दिया गया है (यानी अब तक सुरक्षा उपाय नजरअंदाज किए जा रहे थे)। इसके अलावा आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई की गई है (यानी सड़क किनारे डिस्पेंसर यूनिट अवैध रूप से लगाई गई थी जिसे अब शिफ्ट कर दिया गया है)। पत्र में आरएम ने सभी डिस्पेंसर इकाइयां ठीक से स्थापित करने का दावा किया (जबकि तीसरी मशीन 17 सितंबर को हटाई गई है)।

तस्वीरें बोलती हैं

पेसो से स्वीकृत नक्शा जिसमें 4 आइलैंड्स चिन्हित हैं।

 

HPCL अनिल पेट्रोल पंप पर नवीनीकरण के तहत पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर बदलने में जुटी है। इसके लिए 14 मई 24 को पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) से नया नक्शा पास कराया। ‘न्यूज नजर‘ को इस नक्शे की प्रति प्राप्त हुई है।
रेलवे अस्पताल के पास ब्यावर रोड स्थित अनिल पेट्रोल पंप पर सड़क किनारे लगी पेट्रोल-डीजल की डीयू मशीनें।
इस नक्शे में प्रस्तावित आइलैंड्स एवं डीयू मशीनों के स्थान निर्धारित हैं। लेकिन यहां पेट्रोल डीजल की दो डिस्पेंसर यूनिटें स्थाई रूप से सड़क किनारे लगा दी गई।
अनिल पेट्रोल पंप पर नक्शे के विपरीत लगी डिस्पेंसर यूनिट (गोले में) जिसे 17 सितंबर को हटा लिया गया है।

 

इसके अलावा डीजल की एक डिस्पेंसर यूनिट भी परिसर में नक्शे के विपरीत लगी थी (गोले में) जिसे 17 सितंबर की सुबह हटाया गया है।

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