सन्तोष खाचरियावास
अजमेर। सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली पेट्रोलियम कम्पनियां अपने फायदे के लिए कैसे सैकड़ों लोगों की जान दांव पर लगाती है, इसका नमूना अजमेर में देख सकते हैं। यहां रेलवे अस्पताल के पास ब्यावर रोड स्थित हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पेट्रोल पंप अनिल सर्विस सेंटर पर बिल्कुल सड़क के किनारे डिस्पेंसर यूनिट्स लगाकर अतिज्वलनशील पेट्रोल-डीजल की बिक्री की जा रही है।
हैरानी की बात यह भी है कि इस पम्प पर पिछले छह माह से पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) के सुरक्षा मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन ना तो जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को होश है ना ही नगर निगम या जनप्रतिनिधि परवाह कर रहे हैं। जबकि हादसा होने पर बचाव की सबसे बड़ी जिम्मेदारी इन्हीं पर है।
दरअसल, शहर में ब्यावर रोड स्थित हिंदुस्तान पेट्रोलियम के आउटलेट ‘अनिल सर्विस सेंटर’ पर विगत 6 माह से नियमों के विरुद्ध नवीन निर्माण कार्य किया जा रहा है और साथ-साथ असुरक्षित तरीके से पेट्रोल-डीजल की बिक्री भी की जा रही है। इससे यहां कभी भी बड़ा अग्निकांड घटित हो सकता है।
इस पेट्रोल पंप पर आधुनिकीकरण के नाम पर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है। एचपीसीएल दो मंजिला भवन बनवा रही है। नया इंफ्रास्ट्रक्चर डवलप किया जा रहा है। पेट्रोल डीजल के तीन भूमिगत टैंक बदले गए हैं। पुराने टैंक निकालकर उनकी जगह नए टैंक स्थापित किए गए हैं। हैरत की बात है कि यहां एक दिन भी पेट्रोल-डीजल की बिक्री बंद नहीं की गई और ये सभी कार्य अंजाम दे दिए गए हैं।
PESO से स्वीकृति एक्सप्लोसिव नक्शे के विपरीत मनमर्जी से पुराने आइलैंड हटाकर नई जगह नए आइलैंड स्थापित कर उन पर तीन डिस्पेंसर यूनिट्स लगाकर पेट्रोल-डीजल की बिक्री की जा रही है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि निर्माण कार्य और अतिज्वलनशील पेट्रोल की बिक्री साथ-साथ जारी है जबकि सुरक्षा मानकों के तहत पेट्रोल पंप पर कोई भी निर्माण कार्य, वैल्डिंग कार्य आदि होने पर सबसे पहले पेट्रोल-डीजल की बिक्री बंद कर दी जानी चाहिए।
मनमर्जी से बदल दी मशीनों की जगह
पेट्रोल पंप स्थापित करने के दौरान PESO से एक्सप्लोसिव लाइसेंस लिया जाता है जिसमें पूरा नापचौप कर सुरक्षा के लिहाज से मुख्य मार्ग से निर्धारित दूरी पर आइलैंड्स बनाकर उन पर पेट्रोल-डीजल की डिस्पेंसर यूनिट्स स्थापित करने की अनुमति दी जाती है। बाद में ये डिस्पेंसर यूनिट्स अपने स्थान से एक इंच भी इधर-उधर करने के लिए PESO से ही अनुमति लेनी होती है। लेकिन यहां कम्पनी ने अपने फायदे के लिए PESO के इस अहम नियम को भी गौण कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि कम्पनी ने यहां आइलैंड और डीयू मशीनें स्थान्तरित करने के लिए PESO से औपचारिक स्वीकृति तक नहीं ली है।
कभी हो सकता है भीषण अग्निकांड
यहां एचपीसीएल ने पेट्रोल-डीजल बिक्री के लिए मुख्य सड़क (आम रास्ता) से महज डेढ़ मीटर दूर दो डीयू मशीनें लगा दी हैं। अब यहां मुख्य सड़क पर ही खड़े वाहनों में पेट्रोल-डीजल भरा जा रहा है। मुख्य मार्ग होने के कारण यहां कभी भी गम्भीर हादसा हो सकता है। नियमानुसार पेट्रोल-डीजल की बिक्री बंद करके ही पेट्रोल पंप का रिनोवेशन या नवीन निर्माण कार्य हो सकता है। लेकिन यहां सुबह 5 बजे से लेकर रात्रि 11 बजे तक लगातार पेट्रोल-डीजल की बिक्री जारी है।
यह पम्प अस्थाई रूप से बंद है!
कम्पनी ने उच्च स्तर पर मिथ्या जानकारी दी है कि पम्प इन दिनों अस्थाई रूप से बंद है। जबकि हकीकत में इस पम्प पर विगत 6 माह में एक दिन भी पेट्रोल-डीजल की बिक्री बंद नहीं की गई है।
दरअसल देशभर के पेट्रोल पंपों की जानकारी देने वाली एक निजी कॉमर्शियल वेबसाइट पर डाटा सर्च करने पर बताया जा रहा है कि टेम्परेरी यह आउटलेट बंद है, जबकि ऐसा नहीं है।
बेपरवाही की बानगी
कम्पनी अपने निजी हित एवं स्वार्थ के लिए आम राहगीरों का जीवन संकट में डाल रही है। यहां निर्माण कार्य, नई मशीनें-टैंक स्थापित करना, नई बिजली फिटिंग करना, वैल्डिंग करना आदि कार्य और पेट्रोल-डीजल की बिक्री एक साथ जारी है। साथ ही सड़क किनारे डीयू मशीनें होने से कोई वाहन भी उनसे टकरा सकता है।
इस पम्प के नजदीक ही दो स्कूल संचालित हैं जिनमें हजारों बच्चे पढ़ते हैं। इस पम्प के सामने ही रेलवे अस्पताल है जिसमें सैकड़ों मरीज भर्ती रहते हैं। मुख्य मार्ग पर दिनभर सैकड़ों लोगों एवं वाहनों की आवाजाही रहती है। ऐसे में हजारों स्कूली बच्चों, मरीजों और राहगीरों की जान खतरे में पड़ सकती है।
यातायात में बाधा, ट्रैफिक पुलिस ने मींची आंखें
एचपीसीएल के इस पेट्रोल पंप पर सड़क किनारे डिस्पेंसर यूनिट्स लगने से वाहनों को मुख्य सड़क पर खड़े होकर पेट्रोल-डीजल भरवाना पड़ रहा है। इससे यातायात भी बाधित हो रहा है। शाम होते ही इस पम्प पर विडियोकोच बसें डीजल लेने के लिए पहुंचती हैं, जो मुख्य मार्ग को आधा घेरकर खड़ी होती हैं। जबकि रात 9 बजे से पहले शहर में भारी वाहनों के लिए ‘नो एंट्री’ है। यहां ट्रैफिक बाधित होने के बावजूद यातायात पुलिस ने आंखें मींच रखी है।
50 कदम दूर एचपीसीएल के पम्प पर हो चुका है हादसा
रेलवे अस्पताल के पास एक ही कतार में तीन पेट्रोल पंप संचालित हैं। इनमें एक बीपीसीएल का और दो एचपीसीएल के हैं। एचपीसीएल के अनिल सर्विस सेंटर से 50 कदम दूर एचपीसीएल का ही दूसरा पम्प गंगवाल फिलिंग स्टेशन के नाम से संचालित है। गंगवाल पेट्रोल पंप पर तो ऐसा हादसा हो भी चुका है।
यह हुआ था हादसा : 21 जुलाई 2019
रेलवे हॉस्पिटल के सामने दोपहर करीब 2.30 बजे एक काले रंग की कार ब्यावर रोड की तरफ आ रही थी। अचानक तेज रफ्तार में कार रेलवे अस्पताल के सामने स्थित गंगवाल सर्विस स्टेशन की तरफ घूम गई। कार धमाके के सीधी पेट्रोल पंप की डिस्पेंसर यूनिट मशीन में जा घुसी। यहां लगे स्टील के बेरिकेड्स और पम्प के नोजल-उपकरण टूट गए थे। पंप पर अपनी बाइक लेकर पेट्रोल भरवा रहे रामबाग चौराहा निवासी कमल को बाइक समेत कार ने पंप मशीन के साथ चपेट में ले लिया था। तेज टक्कर से बाइक चकनाचूर हो गई थी। कमल गंभीर रूप से घायल हो गया था। हादसे में घायल रामबाग चौराहा निवासी कमल पुत्र चन्द्रमोहन की उपचार के दौरान मौत हो गई। मृतक के परिजन की रिपोर्ट पर हादसाकारित करने वाले कार चालक बकरा मंडी निवासी अफरोज के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। तब भी एचपीसीएल के पंप में आग लग सकती थी। तेज स्पीड से आई कार डीयू मशीन को क्षतिग्रस्त करती हुई आइलैंड से टकराकर रुक गई। कार के सीधे पेट्रोल मशीन से टकराने पर भीषण अग्निकांड अथवा विस्फोट हो सकता था।
अजमेर झेल चुका है भीषण त्रासदी
29 जनवरी 2021
आदर्शनगर में बीपीसीएल के खालसा पेट्रोल पंप पर गैस टैंक खाली करते समय आग लगने से पेट्रोल पंप संचालक के पुत्र समेत 3 लोगों की मौत हो गई और 8 लोग गम्भीर रूप से झुलस गए थे।
राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री कार्यालय को किया गुमराह
अनिल पेट्रोल पंप पर बरती जा रही गम्भीर लापरवाही से आशंकित एक क्षेत्रवासी ने राष्ट्रपति हेल्पलाइन और प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। साथ ही पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन के चीफ कंट्रोलर को भी शिकायत दी। बिडम्बना यह है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने स्वयं जांच कराने की बजाय यह शिकायत हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. को भेज दी। कम्पनी ने अपना फायदा देखते हुए जिंदा मक्खी निगलते हुए लीपापोती कर दी। डीलर्स पर सुरक्षा मापदंडों को लेकर आए दिन आंखें तरेरने वाले कम्पनी प्रबंधन ने खुद कम्पनी की लापरवाही को ही जायज ठहरा दिया है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय को गुमराह करते हुए कम्पनी प्रबंधन ने शिकायत बंद कर दी है।
एचपीसीएल का यह दावा
आप पहले इस सिलसिले में शिकायत कर्त्ता को कम्पनी से मिला जवाबी पत्र पढ़िए। इसके बाद हम आपको कम्पनी के दावों की हकीकत से रूबरू कराएंगे-
एचपीसीएल के रीजनल मैनेजर के दावों की बखिया उधेड़ते सवाल
1. कम्पनी ने पेट्रोल पंप के आधुनिकीकरण कार्य के लिए तमाम अनुमतियां और अनुमोदन होने का दावा किया है, लेकिन शिकायत कर्ता को एक भी अनुमति की प्रति उपलब्ध नहीं कराई। ना ही राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी रिपोर्ट में इन्हें शामिल किया है।
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2. शहरी सीमा में नवनिर्माण के लिए नगर निगम से नक्शा स्वीकृति आवश्यक है। शहर में कहीं भी ईंट सीमेंट पड़ी देखकर नगर निगम के जमादार से लेकर जेईएन और पार्षद तक अलर्ट हो जाते हैं। इस पेट्रोल पंप पर छह माह से निर्माण कार्य चल रहा है मगर किसी ने आकर आवश्यक अनुमतियां देखने की जहमत नहीं उठाई है। ना ही कम्पनी ने नगर निगम से पास नक्शे की प्रति अपनी रिपोर्ट के साथ भेजी है।
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3. पेट्रोल पंप पर आइलैंड्स और डीयू मशीनें शिफ्ट करने के लिए PESO की अनुमति अति आवश्यक है लेकिन रीजनल मैनेजर यानी आरएम ने इसकी प्रति भी उपलब्ध नहीं कराई है।
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4. कम्पनी के रीजनल मैनेजर शिकायत कर्ता की चिंता को तो सराह रहे हैं लेकिन यह चिंता दूर करने के कोई ठोस कदम उठाने की बात नहीं कर रहे हैं। अगर कम्पनी को आमजन के जीवन की चिंता होती तो तुरंत प्रभाव से इस पम्प पर पेट्रोल-डीजल की बिक्री रोक दी जाती।
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5. कम्पनी प्रबंधन ने दावा किया कि सुरक्षा उपायों के साथ साइट की लगातार निगरानी की जा रही है लेकिन यह नहीं बताया कि कम्पनी ने निगरानी के लिए किस अधिकारी या एजेंसी को जिम्मा सौंपा है। केवल जुबानी निगरानी की बात हो रही है।
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6. पेट्रोल पंप पर ग्राहकों को शुद्ध पेयजल, शौचालय और वाहनों में हवा भरने की मुफ्त सुविधा मुहैया कराना आवश्यक है। लेकिन इस पम्प पर निर्माण कार्य जारी होने के कारण लम्बे समय से ग्राहकों को यह सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। किसी डीलर के यहां ये सुविधाएं नहीं मिलने पर सेल्स ऑफिसर तुरंत पेनल्टी लगा देता है लेकिन यहां चूंकि कम्पनी खुद निर्माण कार्य करा रही है और खुद का स्वार्थ है, इसलिए इन नियमों को भी गौण कर दिया गया है। अगर सेल्स ऑफिसर की इस पम्प पर निगरानी होती तो ग्राहकों को अपने वाहनों में बिना हवा भरवाए बैरंग नहीं लौटना पड़ता।
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7. रीजनल मैनेजर अपने पत्र में कह रहे हैं कि सार्वजनिक ईंधन की मांग पूर्ति करने के लिए बिक्री जारी रखी जा रही है, लेकिन वे भूल गए हैं कि इसी पम्प के पास उनका ही एक और पम्प भी संचालित है। इसके अलावा बीपीसीएल का पम्प भी है, यानी सार्वजनिक ईंधन की मांगपूर्ति का कोई इश्यू नहीं है। इसकी आड़ में सुरक्षा मापदंडों की अनदेखी कहां की समझदारी है, तो आरएम खुद ही बेहतर समझ सकते हैं।
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8. बात सुरक्षा की है तो इसी पम्प के नजदीक एचपीसीएल के ही गंगवाल पेट्रोल पर पूर्व में डीयू मशीनों से वाहन टकराने जैसी गम्भीर दुर्घटना हो चुकी है जबकि वहां तो डीयू मशीनें परिसर के भीतर लगी हुई थीं। अब अनिल पेट्रोल पंप पर तो बिल्कुल सड़क किनारे ही डीयू मशीनें लगा दी गई हैं। ऐसे में किसी वाहन से टक्कर के चांसेज डबल हो गए हैं लेकिन कम्पनी को सिर्फ बिक्री और बिजनेस की चिंता है।
अन्य पम्प पर करवाई हो चुकी तो यहां क्यों नहीं?
यहां गौरतलब है कि अजमेर में ही पटेल मैदान के सामने स्थित आईओसीएल के बजरंग पेट्रोल पंप पर इसी साल अप्रैल में निर्माण कार्य के कारण पम्प संचालक प्रदीप गर्ग ने अपनी डीयू मशीनें सड़क के किनारे शिफ्ट करा दी और धड़ल्ले से पेट्रोल-डीजल की बिक्री करने लगे। जब यह मामला समाचार पत्रों में उछला तो रसद विभाग की कुम्भकर्णी नींद टूटी और तत्कालीन डीएसओ हेमंत आर्य मौके पर पहुंचे। पम्प संचालक ने उन्हें नगर निगम की एनओसी होने की बात कही लेकिन डीएसओ ने जन सुरक्षा के मद्देनजर पम्प संचालक के सभी तर्को को खारिज करते हुए डीयू मशीन सील कर दी थी। अब यही हालत रेलवे अस्पताल के निकट अनिल पेट्रोल पंप के भी हैं।
उससे भी पहले…
करीब 3 साल पहले एचपीसीएल को ही आगरा गेट जयपुर रोड स्थित अपने डीलर स्वास्तिक पेट्रोल पम्प पर भी एक डीयू मशीन इसी वजह से हटानी पड़ी थी क्योंकि वह सड़क के किनारे लगी थी और उससे कोई भी हादसा होने की आशंका थी। अब यही स्थिति अनिल पेट्रोल पम्प की है लेकिन कम्पनी चूंकि खुद यहां निर्माण कार्य करा रही है, इसलिए गलत को सही ठहराने की नाकाम कोशिश कर रही है।
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