रामपुर। इस बार 14 जुलाई से श्रीखंड महादेव यात्रा शुरू हो रही है। श्रद्धालुओं को श्रद्धा और रोमांच से भर देने वाली यह यात्रा बेहद मुश्किल और जोखिम भरी होती है। 32 किलोमीटर की खड़ी पैदल चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। ऐसे में श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही यात्रा शुरू करनी चाहिए। प्रशासन की देखरेख में श्रीखंड महादेव यात्रा 14 से 27 जुलाई तक होगी। 18,570 फुट ऊंचाई पर बसे श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है।
कठिनतम यात्राओं में से एक
ऐसे में श्रद्धालुओं को संकरे भरे रास्ते में कई बर्फ के ग्लेशियरों को भी पार करना होता है। ऊंचाई वाले कई ऐसे स्थल हैं, जहां ऑक्सीजन की कमी और फिसलन का श्रद्धालुओं को सामना करना पड़ता है। पार्वतीबाग से आगे कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां कुछ श्रद्धालुओं को ऑक्सीजन की कमी के चलते भारी दिक्कतें होती है। रास्तों में ग्लेशियर और फिसलन के कारण आगे बढ़ने में भारी परेशानी होती है। तबीयत बिगड़ने पर अगर श्रद्धालुओं को समय रहते उपचार या नीचे नहीं उतारा जाता है तो जान का खतरा भी बन जाता है।
श्रीखंड यात्रा के लिए बनाए गए हैं पांच बेस कैंप
इस बार यात्रा को पांच सेक्टरों में बांटा गया है। सिंहगाड, थाचड़ू, कुनशा, भीम ड्वार और यात्रा के अंतिम बेस कैंप पार्वती बाग में प्रशासन की ओर से स्थापित किए जाएंगे। इसमें सेक्टर मजिस्ट्रेटों और उनके साथ पुलिस अधिकारी, प्रभारी की नियुक्ति की जाएगी। इन बेस कैंप में मेडिकल स्टाफ, राजस्व और रेस्क्यू टीम तैनात रहेगी। यात्रा में पहली बार बचाव दल एसडीआरएफ की यूनिट को यात्रा के अंतिम बेस कैंप पार्वती बाग में तैनात की जाएगी।
इस बार यात्रा को पांच सेक्टरों में बांटा गया है। सिंहगाड, थाचड़ू, कुनशा, भीम ड्वार और यात्रा के अंतिम बेस कैंप पार्वती बाग में प्रशासन की ओर से स्थापित किए जाएंगे। इसमें सेक्टर मजिस्ट्रेटों और उनके साथ पुलिस अधिकारी, प्रभारी की नियुक्ति की जाएगी। इन बेस कैंप में मेडिकल स्टाफ, राजस्व और रेस्क्यू टीम तैनात रहेगी। यात्रा में पहली बार बचाव दल एसडीआरएफ की यूनिट को यात्रा के अंतिम बेस कैंप पार्वती बाग में तैनात की जाएगी।
11 सालों में हो चुकी 40 से अधिक मौतें
कठिन एवं जोखिम भरी श्रीखंड महादेव यात्रा को 2014 से ट्रस्ट के अधीन किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की सुविधाओं के प्रयास जारी हैं। इसके बावजूद पिछले करीब 11 सालों में करीब 40 श्रद्धालुओं से अधिक इस कठिनतम यात्रा में अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में प्रशासन के लिए यह यात्रा किसी चुनौती से कम नहीं हैं।
ये सावधानी बरतें
पार्वतीबाग से ऊपर कुछ यात्रियों की ऑक्सीजन की कमी के चलते तबीयत बिगड़ने लगती है। ऐसे यात्री जिनको ऑक्सीजन की कमी महसूस हो, ज्यादा सांस फूलना, सिरदर्द होना, चढ़ाई न चढ़ पाना, उल्टी की शिकायत होना, धुंधला दिखना, चक्कर आना जैसे लक्षण आना शुरू हों तो ऐसे यात्री तुरंत आराम करें और नीचे की ओर उतरकर बेसकैंप में चिकित्सक से संपर्क करें।
पार्वतीबाग से ऊपर कुछ यात्रियों की ऑक्सीजन की कमी के चलते तबीयत बिगड़ने लगती है। ऐसे यात्री जिनको ऑक्सीजन की कमी महसूस हो, ज्यादा सांस फूलना, सिरदर्द होना, चढ़ाई न चढ़ पाना, उल्टी की शिकायत होना, धुंधला दिखना, चक्कर आना जैसे लक्षण आना शुरू हों तो ऐसे यात्री तुरंत आराम करें और नीचे की ओर उतरकर बेसकैंप में चिकित्सक से संपर्क करें।
यात्रा से पहले सुविधाओं की होगी जांच
एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह की देखरेख में तीन जुलाई को श्रीखंड रास्तों सहित अन्य सभी सुविधाओं को चेक करने के लिए विभागों का संयुक्त निरीक्षण किया जाएगा। इसमें खामियों को दूर किया जाएगा।
शॉट कट रास्ते को किया जाएगा बंद
बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल बनाया है। बीते वीरवार से पोर्टल खोल दिया है। 2200 श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण कर चुके हैं। पार्बतीबाग से ऊपर शॉट कट रास्ते को सुरक्षा की दृष्टि से बंद किया जाएगा।
बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल बनाया है। बीते वीरवार से पोर्टल खोल दिया है। 2200 श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण कर चुके हैं। पार्बतीबाग से ऊपर शॉट कट रास्ते को सुरक्षा की दृष्टि से बंद किया जाएगा।
यह है यात्रा रूट
यात्रियों को शिमला से रामपुर का करीब 130 किमी, रामपुर से निरमंड 17 किमी, निरमंड से जाओ का 23 किमी का सफर वाहन से तय करना होगा। यहां से आगे यात्रा पैदल होगी।