सन्तोष खाचरियावास
जयपुर/अजमेर। देश में सबसे महंगा पेट्रोल डीजल खरीद रही राजस्थान की जनता लंबे समय से और बेसब्री से इनके दाम कम होने का इंतजार कर रही है। राज्य में डबल इंजन की सरकार लोकसभा चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करके अपने वोट पका सकती है। लेकिन इस बार इसका श्रेय राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन यानी आरपीडीए को मिलने के आसार हैं।
दरअसल, पिछले डेढ़ साल से कच्चे तेल के दामों में बेहद कमी के बावजूद तेल कम्पनियों ने पेट्रोल डीजल के रेट कम नहीं किए हैं। अपना घाटा पूरा करने के बाद ये कम्पनियां रोजाना करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रही हैं। इसी मुनाफे से केंद्र की मोदी सरकार भी अपना खजाना भर रही है।
तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और वर्तमान पेट्रोलियम मंत्री हरदीपसिंह पुरी तेल कम्पनियों से कई बार रेट कम करने का ‘आग्रह’ कर चुके हैं लेकिन कम्पनियां उनकी भी नहीं सुन रही हैं। सरकार कहे और कम्पनियां उस पर अमल नहीं करें, ऐसा सम्भव ही नहीं है। जाहिर है खुद सरकार ही नहीं चाहती है कि उसकी कमाई में कमी हो। जनता पिसती है तो पिसती रहे।
राजस्थान में तत्कालीन कांग्रेस सरकार भी वैट में कमी नहीं कर रही थी, क्योंकि ऐसा करने से उसके खजाने में भी आवक कम हो जाती। इसी बीच विधानसभा चुनाव से ऐन पहले आरपीडीए ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। उसकी मांग थी कि राज्य सरकार पेट्रोल डीजल पर वैट में कमी करे। संगठन का कहना है कि राजस्थान में सर्वाधिक वैट होने की वजह से यहां पेट्रोल डीजल महंगा है जबकि पड़ोसी राज्यों में सस्ता है। ज्यादातर ट्रक चालक दूसरे राज्यों से तेल भरवाकर आते हैं। इससे सीमांत इलाकों में कई पेट्रोल पम्प बंद करने की नौबत आ गई है।
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तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने आश्वासन का झुनझुना थमाकर आरपीडीए की हड़ताल खत्म करा दी लेकिन वैट कम नहीं किया।
इधर राज्य में सरकार बदल गई। नवनिर्वाचित भाजपा ने भी वैट कम करने में रुचि नहीं दिखाई तो आरपीडीए फिर लोकसभा चुनाव से पहले हड़ताल कर भजनलाल सरकार पर दबाव बना दिया है।
चूंकि अब केंद्र और राज्य में भाजपा की ही सरकार है, ऐसे में डबल इंजन वाली सरकार पर वैट कम करने का अत्यधिक दबाव बन चुका है। वैसे भी पिछले डेढ़ साल से सरकारें पेट्रोल डीजल पर टैक्सों से अरबों-खरबों रुपए कमा चुकी हैं। अब चुनाव में वोट लेने के लिए वैट कम करने का समय आ चुका है। किसी भी पल वैट में कमी की घोषणा हो सकती है।
आरपीडीए में फिर फूट उजागर
प्रदेश में पेट्रोलियम डीलर्स के संगठन आरपीडीए को इस बार भी हड़ताल को लेकर अपनी सभी इकाइयों का समर्थन नहीं मिल पाया है। अजमेर इकाई ने पेट्रोल पम्प बंद रखने से इनकार कर दिया जबकि जयपुर के पम्प संचालकों ने भी एक दिन में ही हड़ताल से किनारा कर लिया है।
12 रुपए तक कम हो सकते हैं
पेट्रोल पंप डीलर्स की मांग है कि पेट्रोल और डीजल पर जल्दी ही वैट कम किया जाए और डीलर्स के कमीशन में बढ़ोतरी की जाए। एसोसिएशन की मांग है कि डीलर को बिना उसके ऑर्डर के जबरन ल्यूब ऑयल व प्रीमियम प्रोडक्ट की आपूर्ति नहीं की जाए। यदि सरकार वैट कम किए जाने की डीलर्स की मांग मान लेती है तो पेट्रोल के दामों में 12 रुपये तक की कमी आ सकती है। फिलहाल प्रदेश में पेट्रोल पर 31.04 और डीजल पर 19.30 प्रतिशत की दर से वैट लगाया जा रहा है जो कि दूसरे प्रदेशों की तुलना में सर्वाधिक है।
पेट्रोल पम्प संचालकों को लगेगा झटका
जिस भी दिन राज्य सरकार वैट कम करेगी, उस दिन पेट्रोल पम्प संचालकों को एक लाख रुपए से लेकर तीन-चार लाख रुपए का फटका लगना तय है। इसकी वजह यह है कि उनके स्टॉक में पड़े तेल की रेट ज्यादा है जबकि उन्हें वैट में कमी के बाद सस्ती रेट पर तेल बेचना पड़ेगा।
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