चंडीगढ़। पाकिस्तान में कोट लखपत जेल में मरने वाले भारतीय कैदी किरपाल को पांच बार मौत की सजा व 60 साल की कैद हुई थी। इसके अलावा उसे पाक अदालत ने 27 लाख रुपए का जुर्माना भी किया था।
गुरदासपुर के गांव मुस्तफाबाद सैंदा निवासी किरपाल सिंह 1991 में एकाएक घर से गायब हुआ और दोबारा लौटकर नहीं आया। कुछ अर्से बाद उनका खत मिला था कि वह पाकिस्तान की जेल में है। उनके भतीजे अश्वनी कुमार ने बताया कि उसके चाचा 13 साल तक सेना में रहे और घर आए फिर अकस्मात गायब हो गए। किरपाल को 1991 में पाकिस्तान के फैसलाबाद रेलवे स्टेशन पर हुए बम धमाके का आरोपी बनाया गया था। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण परिवार उसकी रिहाई की पैरवी नहीं कर सका।
20 मई 2002 को उसे पाकिस्तान की कोर्ट ने पांच बार मौत की सजा, 60 साल की कैद तथा 27 लाख रुपए का जुर्माना किया था। अश्वनी बताते हैं कि दो महीने पहले उन्होंने खत भेजा था और खुद को सही-सलामत बताया था लेकिन सोमवार की देर रात मीडिया से खबर मिली की उनकी जेल में मौत हो गई। उनका कहना है कि उन लोगों को उम्मीद थी कि वह लौटेंगे मगर उनके मरने की खबर आई है।
उधर, सरबजीत की बहन दलबीर कौर किरपाल की बहन जागीर कौर को सांत्वना देने उनके घर भी पहुंची थी। दलबीर कौर ने किरपाल के परिजनों के साथ अटारी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी भी की थी। दलबीर कौर ने आरोप लगाया कि सरबजीत की तरह किरपाल की भी पाक जेल में हत्या हुई है।
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