कोटा/जयपुर। राजस्थान का कोटा देश को युवाओं के टैलेंट के रूप में नई ऊर्जा दे रहा है. देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने में कोटा से सफलता प्राप्त कर गए बच्चें आज नाम रोशन कर रहे हैं. कोटा का नाम पूरी दुनिया में शिक्षा नगरी के रूप में जाना जाता है, लेकिन कुछ बच्चों के सुसाइड मामले ने मन को झकझोर दिया.
हालांकि, इन सुसाइड के पीछे पढ़ाई का तनाव ही नहीं हैं और भी कई कारण हैं, लेकिन फिर भी किसी बच्चे की जान जाना बेहद चिंताजनक है. इसके लिए राजस्थान की पिछली सरकार ने प्रयास भी शुरू किए थे. वहीं 2023 में कोचिंग स्टूडेंटों की सुसाइड से कोटा देशभर में चर्चा में रहा.
कई बार जिला कलेक्टर स्तर पर बैठकें हो चुकी हैं, लगातार एक के बाद एक नई गाइड लाइन बनती गई, लेकिन सुसाइड कम नहीं हुए. इन बैठकों में आत्महत्याओं पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और उन्हें रोकने के प्रभावी कदम उठाए जाने के लिए प्रयास तेज किए गए. साथ ही पूर्व सीएम गहलोत ने कोचिंग संस्थानों के संचालकों के साथ संवाद कार्यक्रम में स्टूडेंट्स से बातचीत भी की थी.
दूसरे प्रदेशों की अपेक्षा राजस्थान में सुसाइड केस कम
देश के कई हिस्सों में स्टूडेंट ने जो सुसाइड किए वह राजस्थान से अधिक थे, लेकिन फिर भी कोटा को टारगेट किया गया. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार देशभर में साल 2021 में स्टूडेंट्स के 13 हजार से भी अधिक आत्महत्याओं के मामले दर्ज हुए. इनमें महाराष्ट्र में सर्वाधिक 1834, मध्य प्रदेश में 1308, तमिलनाडु में 1246, कर्नाटक में 855 और उड़ीसा में 834 मामले दर्ज हुए.
जबकि, राजस्थान में यह आंकड़ा 633 है जो दूसरे राज्यों की तुलना में कम है. फिर भी कोचिंग संस्थान, अभिभावक, हॉस्टल-पीजी और प्रशासन के प्रभावी समन्वय और सामुहिक प्रयासों से इस समस्या का समाधान किया जाना चाहिए. साथ ही 2024 में नई सरकार से यही अपेक्षा रहेगी की वह किसी प्रभावी नीति पर काम करें.
ई-कम्पलेंट पोर्टल की शुरूआत भी की गई
कोटा में पहले से ही सुसाइड को रोकने के अधिकांश उपाए किए जा रहे हैं. प्रशासन के साथ पुलिस और स्वयंसेवी संस्थाएं अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं. कोटा में 24 घंटे की हेल्पलाइन सेवा और ई-कम्पलेंट पोर्टल की शुरूआत भी की गई है.
संवाद के दौरान अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और टेस्ट रिजल्ट से हुए तनाव का समाधान करने, कोचिंग संस्थानों के शुल्क में पारदर्शिता और किस्तों का विकल्प उपलब्ध कराने, कैरियर काउंसलिंग और मनो चिकित्सक की सुविधा उपलब्ध करवाने, स्टडी ऑवर्स का उचित प्रबन्धन करने, अभिभावकों और छात्रों के ऑरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित करने के साथ साप्ताहिक और प्रमुख त्यौहारों पर अवकाश संबंधी सुझाव आए हैं, जिनपर काम शुरू किया गया है.
हॉस्टल और पीजी में रह रहे दो से ढाई लाख बच्चें
चम्बल हॉस्टल ऐसासिएशन के अध्यक्ष विश्वनाथ शर्मा बताते हैं कि कोटा में चार हजार हॉस्टल और पीजी में करीब दो लाख बच्चें रह रहे हैं. सुसाइड रोकने के लिए पंखों के लिए स्प्रिंग डिवाइस लगाने के आदेश 2016 में ही मिल गए थे, उसके बाद हॉस्टल में पंखों के लिए स्प्रिंग डिवाइस लगवा दिए गए हैं.
यह डिवाइस नहीं लगवाने पर हॉस्टल को सीज भी किया जा सकता है. कोटा में इस साल अब तक 27 बच्चों ने सुसाइड किया, जिसके चलते अब हॉस्टल एसोसिएशन भी मोटिवेशन सेमीनार आयोजित करने के साथ ही सामाजिक व धार्मिक आयोजनों में स्टूडेंट की भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है.