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पेट्रोल-डीजल के लिए भटकते रहे लोग, कई वाहन चालक बीच राह अटके

 

पेट्रोल पम्प डीलर्स की हड़ताल क्या गुल खिलाएगी?

सन्तोष खाचरियावास

जयपुर/अजमेर। राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वैट कम कराने के लिए इस बार प्रदेश के सभी पेट्रोलियम डीलर्स ने पूरी तरह कमर कस ली है। हड़ताल का बिगुल बज गया है। खास बात यह है कि इस बार तेल कंपनियां भी अपने डीलर्स पर हड़ताल वापस लेने का दबाव नहीं बना रही हैं। जबकि पेट्रोल-डीजल की बिक्री अति आवश्यक सेवाओं में शुमार है। कम्पनी और डीलर के बीच हुए एग्रीमेंट में यह शर्त भी शामिल है कि डीलर कभी भी बिक्री ठप नहीं कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो कम्पनी उसका एग्रीमेंट रद्द कर सकती है।

इतनी कड़ी शर्त होने के बावजूद इस बार कम्पनियों ने डीलर्स की हड़ताल को मौन स्वीकृति दे दी है, इससे लगता है कि मामले में केंद्र सरकार का भी इशारा हुआ है।

राज्य के सभी पेट्रोल पंप आज सुबह 10 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक बंद रहे। इस दौरान सभी आउटलेट्स पर पेट्रोल-डीजल की बिक्री ठप रही। इस दौरान वाहन चालक खासे परेशान रहे। गाड़ी में तेल खत्म होने से कइयों के जरूरी काम अटक गए। वे पम्पों पर सेल्समैन के आगे गिड़गिड़ाते रहे लेकिन उन्हें एक बूंद भी तेल नहीं मिला। शाम के 6 बजते ही पम्पों पर फिर से बिक्री शुरू कर दी गई है। कल 14 सितम्बर को भी यही स्थिति रहेगी। इसके बावजूद राज्य सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो 15 सितम्बर से अनिश्चित कालीन हड़ताल की जाएगी।

 

खुले रहे ये पम्प

 

हड़ताल के दौरान सरकारी तेल कम्पनियों के डीलर्स ने तो अपने पंप बंद रखे लेकिन खुद कम्पनियों के कोको पंप खुले रहे। यहां तक कि रिलायंस और नायरा जैसी निजी कंपनियों के पंपों पर भी बिक्री जारी रही। इन पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों की भीड़ लगी रही।

 

क्या झुकेंगे सीएम गहलोत?

मालूम हो कि यह आंदोलन तब किया जा रहा है जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। जाहिर है राज्य की अशोक गहलोत सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह समय चुना गया है। बीजेपी का इशारा या टिकट पाने का फंडा भी हो सकता है।

गहलोत को अच्छे से जानने वालों का मानना है कि इस तरह के दबाव में कभी नहीं आते हैं। बल्कि वक्त आने पर हर धमकी-हर चेतावनी का हिसाब भी चुकाते हैं। इससे पहले भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। तब सरकार ने पेट्रोल पंपों पर इतनी ज्यादा जांच टीमें भेज दी थी कि पम्प संचालकों की नींद उड़ गई थी।

 

 

यह हड़ताल कामयाब होगी या नहीं, इसे लेकर कई पेंच हैं। एक तो खुद ग्रामीण इलाकों के डीलर्स ही नहीं चाहते कि इस समय हड़ताल हो, क्योंकि यह फसल बुवाई का सीजन है। उनके यहां डीजल की बम्पर बिक्री हो रही है। हड़ताल से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

दूसरा, तेल कम्पनियों के कोको पंप रोजमर्रा की तरह खुले रहे। कोको पंप वे होते हैं जिनका संचालन कम्पनी खुद करती है। हर शहर में ऐसे कई पम्प हैं। जयपुर में ही 5 पम्प दिनभर खुले रहे।
इसके अलावा रिलायंस और नायरा जैसी निजी कम्पनियों के पम्प भी खुले हैं। वाहन चालक वहां जाकर मर्जी हो उतना पेट्रोल भरवा रहे हैं, वह भी प्योर पेट्रोल।
यहां उल्लेखनीय है कि सरकारी तेल कम्पनियां पेट्रोल में 12 फीसदी एथोनॉल मिलाकर बेच रही हैं। एथोनॉल मिश्रण जरा से पानी के सम्पर्क में आकर पानी में तब्दील हो जाता है। जबकि रिलायंस और नायरा जैसी कम्पनियां उससे भी कम रेट पर प्योर पेट्रोल बेच रही हैं।

कम होना ही चाहिए वैट

यह सही है कि राजस्थान में अन्य राज्यों की तुलना में वैट बहुत ज्यादा है। इस कारण आमजनता जबरदस्त त्रस्त है। पेट्रोल-डीजल सस्ता होना ही चाहिए। सीएम गहलोत को स्वयं ही इस बारे में तुरंत कोई निर्णय कर आम जनता की सहानुभूति हासिल करनी चाहिए। वे चुनावी सीजन में हर वर्ग को साध रहे हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाकर अपना वोट बैंक और मजबूत करना चाहिए।

 

 

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