अजमेर। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में आने वाले जायरीन बारिश के दिनों में तेज बहाव से गुजरते हुए अपनी जान जोखिम में डालते हैं लेकिन स्थानीय पुलिस उन्हें रोकने-टोकने की जहमत नहीं उठाती है।
दरअसल, दरगाह के मुख्य द्वार यानी निजाम गेट के बाहर तेजी से पहाड़ियों का बरसाती पानी बहता है। देहली गेट, गंज, दरगाह बाजार से आने वाले जायरीन को दरगाह में जाने के लिए यह बहाव पार करना पड़ता है। हालांकि पानी से होकर गुजरना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है, इसके बावजूद कई जायरीन तेज बहाव की परवाह किए बिना ही यह रास्ता पार करते देखे जा सकते हैं।
हर बार थोड़ी सी बारिश आते ही पहाड़ियों से तेजी से पानी आता है। इधर, जायरीन जल्दबाजी में होने और इस बहाव के खतरे से अनजान होते हुए इसमें उतर जाते हैं। दरगाह के निजाम गेट की सीढ़ियों पर खड़े खादिम एवं अन्य लोग हाथ पकड़कर जायरीन को सुरक्षित रूप से खींचने की कोशिश करते हैं। बाकी लोग इसका वीडियो बना रहे होते हैं, मगर कोई भी जायरीन को इस बहाव में उतरने से रोकते नहीं हैं। खास बात यह भी है कि निजाम गेट पर हर समय पुलिस कर्मियों की डयूटी लगी रहती है, मगर वे भी जायरीन को रोकने के लिए सख्ती दिखाना तो टोकते तक नहीं हैं।
हैरानी की बात है कि इस बार बिपरजॉय चक्रवाती तूफान की पूर्व सूचना पर सभी सम्बोधित विभागों ने अपनी-अपनी (कागजी) तैयारियों का दावा किया था लेकिन कहीं भी जलभराव नहीं टाल सके। पुराने मकानों-दीवारों को गिरने से नहीं रोक सके।
पुलिस भी हर जगह बाद में पहुंची। लौंगिया इलाके में पहाड़ी पर बने अवैध मकान गिरने के बाद पुलिस ने बकायदा भोंपू के जरिए लोगों को अलर्ट किया लेकिन दरगाह के बाहर हर बार पुलिस की लापरवाही सामने आती है।
अगर कभी किसी जायरीन परिवार की कोई महिला या कोई बच्चा इस तेज बहाव में बह गया तो अजमेर पुलिस क्या कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ेगी, यह तो वही जाने।
नला बाजार का बहाव खतरनाक
दरअसल, नला बाजार प्राकृतिक रूप से नाला ही है। तारागढ़ की पहाड़ियों का पानी अंदरकोट होते हुए नला बाजार से बहता है।
इस बहाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुकानों के बाहर खड़े दुपहिया वाहन हो या अन्य कोई सामान, या फिर कोई इंसान ही क्यों नहीं हो, पानी के बहाव में बहता हुआ नला बाजार, घी मंडी होते हुए सीधे मदारगेट तक ही पहुंचता है। अगर किस्मत अच्छी हो तो बीच में लोग कोशिश कर बचा लेते हैं।