जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 5 हजार डेयरी बूथ आवंटन में साक्षात्कार का प्रावधान कर भ्र्ष्टाचार का अंदेशा पैदा कर दिया है। एक बूथ के लिए चार आवेदकों के साक्षात्कार होंगे। इसकी आड़ में घूसखोरी के आसार बन गए हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत ने अपनी बजट घोषणा 2022-23 के तहत राज्य में बेरोजगारों को 5 हजार बूथ आवंटित करने का कार्य तेजी से शुरू किया है। इसके लिए राज्यभर में लाखों बेरोजगारों ने आवेदन किए हैं।
अकेले जयपुर में ही 1144 बूथों के लिए 35 हजार आवेदन आए। इसी तरह अजमेर में 93 बूथों के लिए 1494 आवेदन आए। इनमें 12 रद्द हो गए। शेष 1482 की लॉटरी निकाली गई। एक बूथ के लिए 4 आवेदकों का लॉटरी के जरिए अस्थाई रूप से चयन किया गया है। अब इन चारों आवेदकों के इंटरव्यू होंगे और इनमें से एक को बूथ आवंटित किया जाएगा। यही इंटरव्यू गहलोत सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है।
दरअसल, लॉटरी प्रक्रिया तो पारदर्शी रही लेकिन
इंटरव्यू में किस आधार पर आवेदक का चयन किया जाएगा, यह तय नहीं है।
इंटरव्यू सन्देह के घेरे में
स्वायत्त शासन निदेशालय ने इंटरव्यू लेने के आदेश तो जारी कर दिए लेकिन इसका कोई सिलेबस या सवालों की गाइड लाइन जारी नहीं की है। कौनसा आवेदक योग्य है, इसका पैमाना तय नहीं किया।
जाहिर है इसकी आड़ में आवंटन कमेटी के सदस्य अपनी मनमानी और चहेतों को उपकृत करने से बाज नहीं आएंगे। बूथ के लिए ‘बोली’ भी लगने का अंदेशा जताया जा रहा है, यानी चारों आवेदकों में से जो ज्यादा घूस देगा, वही इंटरव्यू में योग्य घोषित कर दिया जाएगा।
क्या सरकारी नौकरी दे रही गहलोत सरकार?
आवेदकों ने यह भी चर्चा है कि सरकार डेयरी बूथ दे रही है या सरकारी नौकरी, जो इस तरह इंटरव्यू लिए जा रहे हैं। आवेदकों में क्या योग्यता देखी जाएगी, इसका पहले ही खुलासा तो करना चाहिए था।
होना यह चाहिए
आवेदकों का कहना है कि आवंटन प्रक्रिया में पारदर्शिता तब होती जब बूथ आवंटन लॉटरी के जरिए होता। चार आवेदकों की लॉटरी निकालने की बजाय हर बूथ के लिए सिर्फ एक-एक लॉटरी निकाली जाती और उसे मौके पर ही बूथ आवंटित कर दिया जाता। अब भी लॉटरी में पहला नाम जिसका निकला, उसे ही बूथ आवंटित कर सरकार गलती सुधार सकती है और अपनी तरफ उठ रही अंगुली को मोड़ सकती है।