नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने 4 अप्रैल, 2016 को 100वां करोड़ आधार जारी कर एक मील का पत्थर स्थापित किया है। पहला आधार साढ़े पांच वर्ष पहले 2010 में में जारी किया गया था। सरकार द्वारा कुछ दिन पहले ही ऐतिहासिक कानून, आधार अधिनियम 2016 (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ, और सेवाओं के लक्षित वितरण) को अधिसूचित करने के बाद यह उपलब्धि हासिल हुई है।
वर्तमान में आधार 18 वर्ष से अधिक की 93 फीसदी जनसंख्या को कवर चुका है। वर्तमान तिथि तक, 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आधार की संख्या 90 फीसदी पूर्ण हो चुकी हैं, जबकि 13 अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह संख्या 75-90 फीसदी के बीच है। यूआईडीएआई के पास वर्तमान में प्रत्येक दिन 15 लाख से ज्यादा आधार कार्ड जारी करने और प्रेषित करने की क्षमता है। 37,304 नामांकन केंद्र देश भर में फैले हुए हैं और इसमें 3,76,543 प्रमाणित ऑपरेटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
पिछले 2 वर्षों के दौरान आधार के आवेदन पत्रों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। 31 मार्च, 2016 तक आधार कार्ड प्रमाणीकरण के उपयोग से लेनदेन की संख्या 150.6 करोड़ तक पहुंच चुकी है, जो 31 मई, 2014 तक 8.82 करोड़ थी। ई-केवाईसी लेन-देन की संख्या 31 मई, 2014 तक 2.7 लाख थी, जो 31 मार्च, 2016 तक बढ़कर 8.4 करोड़ हो गई।
आधार पेमेंट ब्रिज (एपीबी) को विकसित किया गया है जो लाभार्थी को आधार संख्या के द्वारा उसकी बैंक विवरण को हासिल किए बिना उसके लाभ/अन्य भुगतानों को सीधे लाभार्थी के खाते तक पहुंचाता है। आधार पेमेंट ब्रिज (एपीबी) में वर्तमान में 23 करोड़ लोग अपने बैंक खातों को आधार से जोड़ चुके हैं। भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं और पहलों को आधार से जोड़कर यूआईडीएआई को नई गति दी है, जिनमें प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई), मनरेगा, पेंशन, छात्रवृत्ति, डीबीटीएल, यूएएन (ईपीएफओ), पीडीएस, पासपोर्ट, सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति प्रणाली शामिल हैं।
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