शादी से पहले गांव में बांटा जाता है पीले चावल वाला निमंत्रण कार्ड
खास बात यह है कि इस अनोखे विवाह से पहले विवाह आमंत्रण पत्र भी छपवाए जाते हैं। पूर्व गांव में उनका वितरण किया जाता है। साथ ही पूरे गांव में बुजुर्ग पीले चावल वाला कार्ड लेकर सारी रस्मों की शुरुआत करवाते हैं।
इस अनोखे विवाह के लिए सभी रस्मों को पूरा करने के बाद सात फेरे भी होते हैं। उसके बाद सुहागरात पर दोनों का मिलन होता है। शादी में फेरों के बाद प्रसाद वितरण होता है। इसके बाद बारात की वापसी करवाई जाती है।
प्राइवेट पार्ट्स की पूजा, गीतों से सेक्स एजुकेशन भी
विवाह की रस्मों को पूरा करने के दौरान वर-वधु के प्राइवेट पार्ट को पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे निस्संतान दम्पती को संतान की प्राप्ति होती है। और जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। यह भी खास बात यह है कि इस विवाह के आयोजन के दौरान गीतों के माध्यम से सेक्स एजुकेशन भी दी जाती है। दूल्हे मौजाराम को गांव के युवक कंधे पर बैठाकर पूरे गांव में बिंदौली निकालते हैं। और इसके बाद यह बारात मौजनी देवी के घर पहुंचती है। बारात के यहां पहुंचने पर पुष्प वर्षा कर दोनों का स्वागत किया जाता है। और विवाह की सभी रस्मों को निभाने के बाद दूल्हा दुल्हन के सात फेरे करवाए जाते हैं।
सुहागरात के बाद जुदाई तक की रस्में
सात फेरों की रस्म के बाद दूल्हा-दुल्हन की सुहागरात की तैयारी की जाती है। दोनों का मिलन करवाया जाता है। इसके पश्चाय प्रसाद वितरण कर बारात की वापसी होती है। ऐसी मान्यता है कि मौजीराम और मौजनी बिछड़ गये थे। इसी तर्ज पर शादी वाले दूल्हा-दुल्हन यानी उनके प्रतीक रूप भी जुदा हो जाते हैं।