बजरंग दल की इंदौर इकाई के संयोजक तन्नू शर्मा ने कहा, ‘हमने लव जिहाद रोकने के लिए अपने 400 कार्यकर्ताओं की शहर के अलग-अलग गरबा पंडालों में तैनाती की है। इनकी जिम्मेदारी निगरानी करना है कि अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कोई व्यक्ति अपनी पहचान छिपाकर इन पंडालों में तो दाखिल नहीं हो रहा है।’ उन्होंने कहा कि ‘अनैतिक गतिविधियों’ की सूचना मिलने पर पिछले तीन दिनों में बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने शहर के अलग-अलग इलाकों के गरबा पंडालों से कुल आठ मुस्लिम युवकों को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया है।
लड़कियों के वीडियो बना रहे थे आरोपी
शर्मा ने आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले ये युवक ‘लव जिहाद’ के इरादे से अपनी पहचान छिपाकर गरबा पंडालों में घुसे थे और गरबा कर रही युवतियों की अनुमति के बिना उनके वीडियो बनाने तथा अन्य अनैतिक गतिविधियों में शामिल थे। बजरंग दल कार्यकर्ताओं द्वारा गरबा पंडालों से मुस्लिम युवकों को पकड़ कर पुलिस के हवाले करने के वीडियो सोशल मीडिया पर फैल रहे हैं।
पुलिस बोली- लव जिहाद जैसी कोई गतिविधि नहीं
इस बीच, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजेश हिंगणकर ने कहा कि गरबा पंडालों में सामने आए छिटपुट मसलों के बाद शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए संबंधित युवकों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध घटित होने से रोकने के लिए की जाने एहतियातन गिरफ्तारी) के तहत गिरफ्तार किया गया है। हिंगणकर ने दावा किया, ‘शहर के सभी गरबा पंडालों में हालात एकदम शांतिपूर्ण हैं और इनमें लव जिहाद जैसी कोई गतिविधि नहीं चल रही है।’
यह भी देखें
कांग्रेस बोली- बजरंग दल को यह अधिकार किसने दिया?
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता संतोष सिंह गौतम ने कहा, ‘किसी भी धर्म का व्यक्ति अगर गरबा पंडालों में गलत हरकत करता है, तो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन हम जानना चाहते हैं कि क्या राज्य की भाजपा सरकार ने बजरंग दल को नैतिक पुलिसिंग की खुली छूट दे दी है।’
गौरतलब है कि प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 27 सितंबर को कहा था कि गरबा आयोजकों को नृत्य पंडालों में प्रवेश की अनुमति देने से पहले लोगों के पहचान पत्रों की जांच करने के लिए कहा गया है। इससे पहले, राज्य की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने आठ सितंबर को सुझाव दिया था कि कथित ‘लव जिहाद’ रोकने के लिए नवरात्रि उत्सव के दौरान गरबा नृत्य स्थलों पर प्रवेश की अनुमति पहचान पत्रों की जांच के बाद ही दी जानी चाहिए।