उन्होंने कहा कि असम के बाहर के इमामों का मुस्लिम युवकों को निजी मदरसों में पढ़ाई के नाम पर बरगलाना चिंताजनक है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जिहादी गतिविधि आतंकवादी या उग्रवाद गतिविधियों से बहुत अलग है। यह कई वर्षों तक बरगलाने के साथ शुरू होती है, इसके बाद इस्लामी कट्टरवाद को बढ़ावा देने में सक्रिय भागीदारी होती है, और अंत में विध्वंसक गतिविधियों की तरफ जाती है।’’
राज्य में 2016-17 में “अवैध रूप से प्रवेश करने वाले” बांग्लादेशी नागरिकों ने कोविड-19 महामारी के दौरान कई प्रशिक्षण शिविरों का संचालन किया। उन्होंने कहा, “इनमें से केवल एक बांग्लादेशी को अब तक गिरफ्तार किया गया है, और मैं लोगों से अपील करता हूं कि राज्य के बाहर का कोई भी मदरसे में शिक्षक या इमाम बन जाए तो उसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दें।’’