सन्तोष खाचरियावास @ अजमेर
बैंकों की छुट्टियां आपकी जेब पर ही नहीं बल्कि आपके वाहनों पर भी असर डाल सकती है। इस बार ऐसा ही हुआ है। बैंकों की लगातार छुट्टियों से कई पेट्रोल पम्प ड्राई पड़े हैं, खासकर HPCL के। जबकि पेट्रोल-डीजल सप्लाई को अति आवश्यक सेवाओं में शामिल माना जाता है।
दरअसल, इन दिनों HPCL ने ‘पैसा दो-सप्लाई लो’ की पॉलिसी अपना रखी है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और वित्तीय वर्ष की क्लोजिंग के बीच कम्पनी ने अपने डीलर्स पर बकाया भुगतान जमा कराने की सख्ती कर रखी है। ऐसे में जब भी डीलर अपने यहां सप्लाई मंगवाने के लिए डिमांड डालते हैं और पैसा जमा कराते हैं तो कम्पनी के अकाउंट में पैसा आते ही सबसे पहले बकाया काट लिया जाता है। ऐसे में नई सप्लाई का पेमेंट शार्ट होते ही उनका ऑर्डर होल्ड पर कर दिया जाता है।
उधर, सप्लाई का इंतजार कर रहे डीलर को जब इसका पता चलता है तो उसके होश उड़ जाते हैं और आनन-फानन में दुबारा इधर-उधर से पैसों का
इंतजाम करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है।
इन दिनों ही क्यों बने हालात
पेट्रोल पम्प डीलर्स को पहले टर्मिनल से आसानी से उधार में सप्लाई मिल जाती थी। खासकर, रविवार को बैंकों और टर्मिनल की छुट्टी के मद्देनजर कम्पनी शनिवार को उधार में सप्लाई दे देती थी। अब पहले नकदी जमा कराने की बाध्यता है। कम्पनी में यह राशि ऑनलाइन जमा करानी होती है और इसके लिए पहले अपने बैंक खाते में राशि होनी चाहिए।
पेट्रोल पम्पों पर ज्यादातर ग्राहक नकदी देकर तेल भरवाते हैं। पूरे दिन में यह कलेक्शन लाखों रुपयों में होता है। शाम को बैंक बंद होने से पहले यह कैश बैंकों में जमा कराया जाता है ताकि तेल कम्पनी को ऑनलाइन भुगतान किया जा सके। अब बैंकों की हड़ताल या लगातार दो छुट्टियां होने से कई डीलर अपने खाते में कैश जमा नहीं करवा पा रहे हैं। नतीजतन वे टर्मिनल से सप्लाई भी नहीं मंगवा पा रहे हैं।
जोखिम है सो अलग
बैंकों की छुट्टियों के कारण डीलर्स को अपना कैश अपने ठिकाने ही सुरक्षित रखने का जोखिम अलग उठाना पड़ रहा है। जितने दिन बैंक बंद रहता है, उतने दिन ही डीलर्स के पास कैश बढ़ता जाता है। लाखों रुपए का कैश सम्भालकर रखना भारी टेंशन की वजह है।
बैंकों का यह तर्क हो सकता है कि छुट्टियों के दौरान ATM बूथ पर लगी कैश मशीन के जरिए भी नकदी जमा कराई जा सकती है, मगर इसमें भी जोखिम कम नहीं है। लाखों रुपए लेकर एटीएम बूथ तक जाना भी कम जोखिमभरा नहीं है। पम्प डीलर्स का कहना है कि विशेष परिस्थितियों में कम्पनी को उनकी व्यावहारिक परेशानी समझनी चाहिए और इसका समाधान निकालना चाहिए।
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