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एक ही गांव में 40 किसान बने करोड़पति, लक्जरी कारों के मालिक

 

जयपुर. अपनी मेहनत से दुनिया केे लिए अनाज उगाने वाले किसान अब तकनीक का उपयोग कर खूब तरक्की कर रहे हैं। इजराइल तकनीक (Israel technic) पर आधारित मॉडर्न खेती के तरीकों ने खेती-किसानी को मुनाफे का सौदा बना दिया है. जयपुर के आसपास के क्षेत्र में इजराइली तकनीक से पॉलीहाउस, शेडनेट हाउस में सब्जियों की खेती करके प्रगतिशील किसान लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. इससे करोड़पति किसानों का एक नया वर्ग तैयार हो गया है. इस पूरे बदलाव के पीछे पॉलीहाउस लगाकर कंट्रोल एन्वायरन्मेंट में खेती करने की तकनीक है.

 

 

यहां 6 किलोमीटर के एरिया में 300 से ज्यादा पॉली हाउस हैं. इसी की बदौलत यहां के किसानों की किस्मत बदल गई. 40 किसान ऐसे हैं जो 10 साल में करोड़पति बन गए हैं. इस टेक्नीक को गांव के ही एक किसान खेमाराम इजराइल से सीखकर आए

पानी की कमी से जूझने वाले इस क्षेत्र का नक्शा इजराइली तकनीक की खेती ने बदला है. आज से 10 साल पहले गुढ़ा कुमावतान गांव के प्रगतिशील किसान खेमाराम को राजस्थान सरकार के सहयोग से इजराइल टूर पर जाने का मौका मिला. वहां पर कम पानी के बावजूद कंट्रोल एन्वायरन्मेंट में पॉलीहाउस की खेती को देखा और समझा. वापस आकर खेमाराम ने सरकारी सहयोग से 10 साल पहले इस इलाके में पहला पॉलीहाउस लगाया.

 

 

खेमाराम ने बताया कि जब पॉलीहाउस को लगाया तो गांव और परिवार के लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया. मुझे बोलते थे, यह पागल हो गया है टेंट और तंबूओं में कोई खेती होती है क्या? क्योंकि परिवार को लगता था कि मैं इन्वेस्टमेंट के नाम लाखों रुपए बर्बाद कर रहा हूं. इसके बाद जो रिजल्ट आया उसने मुझे, परिवार और पूरे गांव वालों को हैरान कर दिया. मुझे लाखों रुपए का मुनाफा होने लगा. यह बात जब गांव के लोगों तक पहुंची तो धीरे-धीरे उन्होंने भी यह टेक्नीक अपनाई.

अच्छी क्वालिटी का पॉलीहाउस की एक एकड़ या 4000 वर्गमीटर में लगाने पर 35 से 40 लाख रुपए की लागत आती है. एक पॉलीहाउस या ग्रीन हाउस पर सरकार कुल लागत का 50 फीसदी सब्सिडी देती है. एससी, एसटी और छोटे किसान को 70 फीसदी तक अनुदान मिलता है.

गुढ़ा कुमावतान के छह किलोमीटर के इलाके में बहुत से किसान ऐसे हैं जिन्होंने सरकारी अनुदान से पहला पॉलीहाउस लगाने के बाद खुद के खर्चे पर कई पॉलीहाउस बनाए हैं. 20 किसान तो ऐसे हैं, जिन्होंने अपने खर्च पर 5 से 10 तक पॉलीहाउस लगा लिए हैं. किसान खेमाराम के यहां 9 पॉलीहाउस हैं. इसी तरह किसान गंगाराम, रामनारायण ने भी अपने खर्चे पर 5 से ज्यादा पॉलीहाउस लगाए हैं.

इजराइली टेक्नीक से आर्थिक स्तर और लाइफस्टाइल में आया बदलाव
इस इलाके में खेती के तरीकों में बदलाव से किसानों के लाइफस्टाइल में जबरदस्त बदलाव आया है. सड़क से ही इस बदलाव को साफ देखा जा सकता है. इस इलाके के हर खेत में पॉलीहाउस नजर आ जाएगा. पॉलीहाउस की संख्या हर साल बढ़ रही है. पॉलीहाउस में सबसे ज्यादा ताइवानी खीरा उगाया जा रहा है. खीरे से होने वाली आमदनी से यहां के किसान हर साल लाखों कमा रहे हैं.

इजरायल टेक्नीक से खेती और तरीके बदलने के बाद यहां के किसानों की किस्मत बदल चुकी है. 40 किसान ऐसे हैं जो करोड़पति है. इसके अलावा दूसरे किसान हर साल लाखों रुपए कमा रहे हैं. यहां तक कि महंगी लग्जरी गाड़ियां तक मेंटेन करते हैं. पारंपरिक खेती के साथ स्ट्राबेरी और दूसरे फल व सब्जियों की खेती कर लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं.

खीरे का हब बना यह इलाका, सालाना 10 लाख कमाई
पॉलीहाउस में सबसे ज्यादा उन्नत किस्म का विदेशी खीरा उगा रहे हैं. खीरे का बाजार आसानी से मिल जाता है और इसका उत्पादन खूब होता है इसलिए ज्यादातर किसानों का फोकस खीरा पर ही है. खीरा को जयपुर की मुहाना मंडी में बेचा जाता है. एक पॉलीहाउस में साल में तीन तक फसल ले ली जाती है. मुनाफे का गणित इसी से तय होता है. अब तो कई किसानों ने पॉलीहाउस को ठेके पर देकर पैसा कमाने का तरीका निकाल लिया है. यहां कि किसानों ने बताया कि सालाना 10 लाख रुपए का फायदा होता है.

 

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