शिमला। यहां की सड़कों पर रात के अंधेरे में कोई महिला टैक्सी चालक आपसे पूछे कि सर क्या आपको टैक्सी चाहिए। तो चौंकिएगा नहीं। यह शिमला की पहली महिला टैक्सी चालक मीनाक्षी होंगी। कोरोना काल में आर्थिक संकट के बीच बेटियों की पढ़ाई अच्छे स्कूल में जारी रहे, इसके लिए शिमला की मीनाक्षी ने टैक्सी का स्टेयरिंग थाम लिया। मुश्किल वक्त निकल गया और अब भी मीनाक्षी गर्व के साथ शिमला में टैक्सी चला रही हैं।
लोअर पंथाघाटी के दोची में रहने वाली मीनाक्षी नेगी शिमला की पहली ग्रेजुएट टैक्सी चालक हैं। अब शिमला लोकल ही नहीं सवारियों को लेकर चंडीगढ़ और दिल्ली के भी चक्कर लगा आती हैं। मीनाक्षी का कहना है कि हिमाचल में महिलाएं सुरक्षित हैं इसलिए रात में भी टैक्सी चलाने में डर नहीं लगता।
मीनाक्षी ने बताया कि चार सालों से गाड़ी चला रही हैं। पहले अपनी आल्टो कार में बेटियों को स्कूल छोड़ती थी। पड़ोसियों ने आग्रह किया कि हमारे बच्चों को भी स्कूल छोड़ दिया करो, तुम्हारे साथ बच्चे सुरक्षित रहेंगे। बच्चों की संख्या बढ़ी तो बड़ी इक्को गाड़ी खरीद ली। गाड़ी खरीद कर 10 ही दिन हुए थे कि स्कूल बंद हो गए।
गाड़ी की किस्तें तो निकालनी थी इसलिए बतौर टैक्सी गाड़ी चलानी शुरू कर दी। महिला होने के कारण शुरू में अन्य टैक्सी संचालकों ने स्वीकार नहीं किया। लोगों की बातें सुननी पड़ी, लेकिन अब स्थितियां सुधर गई हैं। दूसरे टैक्सी संचालक भी सहयोग करने लगे हैं। लिफ्ट के पास से देर शाम तक सवारियां उठाती हूं। लोग अपने परिवारों को लाने ले जाने के लिए फोन कर बुलाते हैं।
कई बार रात 12 बजे तक टैक्सी चलाती हैं मीनाक्षी
सुबह नौ बजे टैक्सी लेकर मीनाक्षी घर से निकलती हैं और रात आठ बजे के बाद घर लौटती हैं। बुकिंग हो तो सुबह 5 से रात 12 बजे तक भी गाड़ी चला लेती हैं। मीनाक्षी की दो बेटियां हैं। बड़ी 12वीं और छोटी 8वीं में पढ़ती है। मीनाक्षी का कहना है कि परिजनों के आशीर्वाद और टैक्सी ऑपरेटरों की वजह से ही इस पेशे में आगे बढ़ पा रही हैं।