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इस बार प्रमोटी कोरोना…पुलिस इंतजाम भी प्रमोटी !!

अजमेर में सोमवार को पहले दिन क्रिश्चियन गंज थाने में कोरोना स्टिकर लेने के लिए आए लोगों को घण्टों परेशान होना पड़ा।
सन्तोष खाचरियावास @ अजमेर
इस बार कोरोना ज्यादा विकराल है…पहले बलिश्त भर का मास्क ही सब-कुछ था… अब शामियाने तानने की नौबत है। कई अस्पतालों में तो शामियाने लग भी चुके हैं। प्रशासन भले ही कुछ नया नहीं कर सका है लेकिन पुलिस ‘नवाचार’ लागू करने में पीछे नहीं है। 
 
पहले पुलिस अधीक्षक कु.राष्ट्रदीप ने जैसे-तैसे हालात सम्भाले थे, अब एसपी जगदीश चन्द्र के हाथों में कमान है, सो इंतजाम भी प्रमोट हुए हैं।
तब घोषित लॉकडाउन था, अब लॉकडाउन कहकर राज्य सरकार बुराई मोल नहीं लेना चाहती जबकि हालात लॉकडाउन से भी बदतर हैं।
पहले प्रशासन ने देर से ही सही लेकिन कालाबाजारी पर कुछ नकेल तो कसी थी लेकिन अब कोई भी कालाबाजारियों के गोदामों में झांक तक नहीं रहा है।
पहले रसद विभाग ने जरूरी चीजें कंट्रोल रेट पर बिकवाई लेकिन अब कालाबाजारियों पर कोई कंट्रोल नहीं है।
पहले लोग काम-धंधा खोकर घरों में पड़े थे, अब काम-धंधे के बहाने उन्हें बाहर बुलाकर चालान ठोके जा रहे हैं। ‘बेवजह’ की घाणी में बेकसूरों का भी तेल निकाला जा रहा है, ऊपर से वाहवाही लूटे सो अलग।
पहले, सबसे पहले भिखारियों-खानाबदोश को क्वारेंटाइन किया गया था, अब उन्हें छुट्टा छोड़ दिया गया है।
पहले गरीबों को घर बैठे रोटी-मिठाई के पैकेट मिल रहे थे, अब No lockdown-No help please !!
पहले संक्रमितों को अस्पताल और क्वारेंटाइन सेंटरों में रखा जाता था, अब उन्हें घरों में आइसोलेटेड किया गया है। उनके परिजन बेहिचक घर से बाहर आना-जाना कर रहे हैं।
प्रशासन का नवाचार सिर्फ ‘इंसिडर कमांडर’ शब्द है जबकि पुलिस नए-नए शो दिखा रही है।
चार शो में.. रोजाना चार शो में देखिए…किसी जमाने में ऑटो रिक्शा में यह आवाजें गूंजती थीं, अब कोरोना से बचने के टिप्स देने के लिए लाउड स्पीकर लगे ऑटो रिक्शा घूम रहे हैं। उन पर एसपी साहब के फोटो लगे पोस्टर लोगों को जागरूक कर रहे हैं, यह नया इंतजाम है।
पिछली बार प्रशासन ने पास सिस्टम लागू किया था, अब पास कहीं आसपास नहीं दिख रहे…। प्रशासन ने पास सिस्टम नहीं अपनाया तो खुद पुलिस को हालात सम्भालने के आगे आना पड़ा और मुम्बई की तर्ज पर रंग-बिरंगे स्टिकर लॉन्च कर दिए हैं।
आप भले ही अत्यावश्यक सेवा में ड्यूटी देने अस्पताल-डिस्पेंसरी या किसी और जगह जा रहे हों, पहले अपनी गाड़ी को थाने की धोक दिलवाओ…
आपके लिए अलॉट स्टिकर कहां से मिलेगा यह तो नहीं पता लेकिन स्टिकर मिलने के बाद थानेदार के साइन कराने के लिए घण्टों इंतजार तो करना पड़ेगा। भला कोरोना काल में कानून व्यवस्था सम्भाल रहे थानेदार आपके लिए फील्ड छोड़कर थाने में तो बैठे नहीं रहेंगे।
हजारों मेडिकल स्टाफ, हजारों दुकानदार, सब्जी-दूध-दही, बैंकिंग, रेलवे-रोडवेज, फैक्ट्री, मीडिया आदि के रंग-बिरंगे स्टिकर पर साइन कराने के लिए तो थाने के बाहर भी शामियाने लगाने की नौबत आ सकती है, क्योंकि वहां भी तो सोशल डिस्टेंस रखनी होगी।
खैर, इस बार नए इंतजाम हैं…लोग ‘चाव’ से सहयोग करेंगे !!

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