जम्मू। तिरुपति के बाद शायद वैष्णो देवी का ही तीर्थस्थान ऐसा है जहां भक्तों ने दिल खोलकर सोना और चांदी चढ़ाया है। हर साल वे दिल खोलकर माता के भवन में सोना-चांदी व नकदी का खुलकर दान करते हैं। श्राइन बोर्ड भी भक्तों के इस दान का उन्हीं की सुविधाओं और जनकल्याण का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटता।
माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार हर साल माता के भवन में औसतन 90 किलो सोना श्रद्धालु चढ़ाते हैं। पिछले 20 सालों में माता के दरबार में 1800 किलोग्राम सोना चढ़ा है। यही नहीं, चांदी चढ़ाने में भी श्रद्धालु पीछे नहीं हैं। इसी अवधि के दौरान माता के दरबार में 4700 किलोग्राम चांदी चढ़ाई गई। अर्थात हर साल औसतन 200 किलो से भी ज्यादा चांदी के सिक्के, मुकुट व आभूषण माता को भेंट किए गए। इस कारण त्रिकुटा पर्वत पर विराजमान मां वैष्णो की यात्रा की देखभाल कर रहा श्राइन बोर्ड भारत के अमीर श्राइन बोर्ड में से एक है।
माता के दरबार में श्रद्धालु न सिर्फ अपनी आस्था के अनुसार सोना और चांदी चढ़ाते हैं बल्कि नकद राशि चढ़ाने में भी पीछे नहीं हटते। पिछले 20 सालों में अर्थात 2001 से 2020 तक श्रद्धालुओं ने माता के दरबार में 2000 करोड़ रुपए नकद भी चढ़ाए। यह मंदिर 108 शक्ति पीठ में से एक है, जो कि मां दुर्गा को समर्पित है। यही नहीं, माता के दरबार में श्रद्धालु भी हर साल लाखों की संख्या में आते हैं। माता की यह पवित्र गुफा उन चंद धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां पर श्रद्धालु हर साल लाखों की संख्या में दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
अगर गत वर्ष कोरोना महामारी के दौर को छोड़ दें तो यहां पर हर साल रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। साल 1986 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के गठन के बाद से ही श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती गई। साल 2000 तक पहुंचते-पहुंचते श्रद्धालुओं की संख्या 50 लाख के आंकडे को पार कर गई।