न्यूज नजर : 27 फरवरी को माघी पूर्णिमा है। हिंदू शास्त्रों में माघ स्नान और व्रत की खासी महिमा बताई गई है। माना जाता है कि इस दिन देवता रूप बदलकर गंगा में स्नान करने धरती पर उतरते हैं और हर मनुष्य का कल्याण करते हैं। इसलिए इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके पूजा पाठ और दान करते हैं।
माघी पूर्णिमा माघ मास का आखिरी दिन है और इसके ठीक अगले दिन से ही फाल्गुन की शुरूआत होती है। पूरे साल में शरद पूर्णिमा सहित अन्य कई पूर्णिमा पड़ती है लेकिन इन सभी में माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है। माघी पूर्णिमा पर विधि विधान से पूजा करना काफी फलदायक होता है।
माघ महीने के शुरू होते ही प्रयागराज में संगम तीरे कल्पवासी एक महीने का कल्पवास शुरू करते हैं। माघी पूर्णिमा पर कल्पवासियों और तीर्थयात्रियों का एक माह का कल्पवास पूर्ण हो जाता है। इसके बाद कल्पवासी सूर्योदय से पहले संगम में स्नान करके मां गंगा की आरती और पूजा करते हैं और अपने सामर्थ्य के अनुसार साधु, सन्यासियों, ब्राह्मणों और गरीबों को दान करते हैं। इसके बाद कल्पवासी अपनी कुटिया में यज्ञ और हवन भी करते हैं और मां गंगा का आभार व्यक्त करते हुए अपने अपने घरों को लौट जाते हैं।
आप यह करें
स्नान : शास्त्रों में लिखा गया है कि माघी पूर्णिमा पर विधि विधान से पूजा करना काफी फलदायक होता है। आइये आपको बताते हैं कि इस खास दिन आपको क्या करना चाहिए। प्रातःकाल उठकर नित्यकर्म करने के बाद स्नान करें और ध्यान लगाकर भगवान विष्णु की विधिविधान से पूजा करें। माना जाता है कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। इसलिए गंगाजल में स्नान और आचमन करना फलदायी होता है। माघी पूर्णिमा पर पितरों को श्राद्ध देना चाहिए।
दान : माघी पूर्णिमा पर संगम में स्नान करने से व्यक्ति की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस शुभ अवसर पर तिल, कम्बल, कपास, गुड़, घी, मोदक, फल, चरण पादुकाएं, अन्न का दान करना फलदायक होता है।