उज्जैन। अ.भा. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्रगिरिजी महाराज ने यहां पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि पुराणों के उल्लेख से लेकर प्राचीन काल से आज तक केवल 13 अखाड़ों का ही महत्व है और इन्हे ही मान्यता है। परी अखाड़े का कोई अस्तित्व नहीं है। इसे अखाड़ा परिषद ने कोई मान्यता नहीं दी है।
उज्जैन के चारधाम मंदिर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए हाल ही में नासिक-त्र्यंबकेश्वर महाकुंभ के दौरान चर्चा में आई परी अखाड़े की पीठाधीश्वर त्रिकाल भवंता को लेकर नरेन्द्रगिरीजी महाराज ने कहा कि अखाड़ा परिषद ने 13 अखाड़ों को मान्यता दी है। चौदहवें अखाड़े का कोई अस्तित्व नहीं है और न ही उसे अखाड़ा परिषद ने मान्यता दी है।
नरेन्द्रगिरिजी महाराज ने कहा कि 2004 के सिंहस्थ में अग्नि और अटल अखाड़ों के साधु-संतों को स्नान नहीं करने दिया गया था। लेकिन 2016 सिंहस्थ महाकुंभ में सभी 13 अखाड़ों के साधु-संत स्नान करेंगे। उन्होंने कहा कि शिप्रा नदी में कई स्थानों पर गंदे नालों का पानी मिल रहा हैं जिससे शिप्रा का जल दूषित हो रहा हैं।
सिंहस्थ के दौरान शिप्रा में स्नान करने वाले साधु-संत और श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल उपलब्ध हो, इसके लिए अधिकारियों को काम करना होगा। श्रद्धालुओं को शहर से ज्यादा दूर न रोका जाए। पार्किंग व्यवस्था ऐसी हो कि सिंहस्थ क्षेत्र में आने के लिए श्रद्धालुओं को ज्यादा परेशानी का सामना न करना पड़े। श्रद्धालुओं को परेशानी आई तो सभी साधु-संत धरने पर बैठ जाएगें।