नई दिल्ली। राजस्थान में अशोक गहलोत के बवंडर में अपनी आकांक्षाओं की उड़ान भरना सचिन पायलट को भारी पड़ गया है। अब उनका पॉलिटिकल प्लेन ट्विस्टर में फंस गया है। बगावत करने पर मंगलवार को उन्हें उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद पायलट ने बुधवार को साफ कहा कि वह अब भी कांग्रेस के मेम्बर हैं और बीजेपी में नहीं जाएंगे।
उन्होंने कहा कि मैंने तो सिर्फ जनता से किए वादे निभाने को कहा था लेकिन पार्टी में मेरी बात सुनने का मंच ही नहीं बचा है।
मालूम हो कि राजस्थान में सरकार गिराने की कोशिश के मामले में एसीबी और एसओजी अलग-अलग केस दर्ज कर जांच कर रही है। इसी सिलसिले में एसओजी ने पूछताछ के लिए पायलट को सम्मन भेजा तो वह बगावती हो गए।
पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से मंगलवार को हटा दिया। पार्टी ने कड़ा रुख अपनाते हुए पायलट समर्थक दो मंत्रियों विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी बर्खास्त कर दिया।
गहलोत का एक और वार
कांग्रेस ने अपने ही 19 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने नोटिस जारी किए हैं। इन विधायकों में पायलट समेत उनके समर्थक विधायक शामिल हैं। उधर, सवाई माधोपुर के विधायक दानिश अबरार ने गहलोत की तरफ से दावा किया कि सरकार के पास 109 विधायकों का समर्थन है।