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जामा मस्जिद के पीआरओ अमानुल्लाह की कोरोना से मौत

नई दिल्ली। राजधानी के ऐतिहासिक जामा मस्जिद के जनसंपर्क अधिकारी अमानुल्लाह का कोरोना संक्रमण से यहां सफदरजंग अस्पताल में निधन हो गया है। वे 58 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी और चार बेटे हैं। मंगलवार देर रात उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली।

अमानुल्लाह के परिवार के एक सदस्य ने आज बताया कि 31 मई को उनकी तबीयत खराब होने के बाद जामिया नगर स्थित अस्पताल में दिखाया गया जहां डॉक्टरों ने कोरोना जांच कराने की सलाह दी। एक जून को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उन्होंने कहा कि तबीयत अधिक खराब होने के बाद कल शाम उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन अचानक करीब रात 12 बजे उनका निधन हो गया। बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले श्री अमानुल्लाह वर्ष 1990 से जामा मस्जिद के जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर अपनी सेवा दे रहे थे।

कोरोना संदिग्ध अरबी विद्वान की मौत

राजधानी के सात निजी अस्पतालों के भर्ती करने से मना करने के बाद अरबी के प्रसिद्ध विद्वान एवं दिल्ली विश्विद्यालय में अरबी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर वली अहमद का मंगलवार को इंतेक़ाल हो गया। डॉ वली को कल रात साढ़े दस बजे जामिया नगर में सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। वह 60 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी, दो पुत्र और दो पुत्री हैं।

डॉक्टर वली को सांस लेने में तकलीफ के कारण कोरोना के संदिग्ध मामले में शनिवार की रात ढाई बजे जामिया के अल सीफ़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

दिल्ली विश्विद्यालय में उर्दू के प्रोफेसर डॉ इम्तियाज अहमद ने बताया कि राजधानी के सात निजी अस्पतालों ने डॉक्टर वली को इलाज के लिए अपने यहां भर्ती करने से मना कर दिया और तब उन्हें एक मित्र की मदद से शनिवार की रात 2:30 बजे अल सीफा अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उसके अगले दिन रविवार होने के कारण उनकी कोरोना जांच नहीं हुई और मंगलवार को शाम 4 बजे उनकी जांच की गई लेकिन जांच रिपोर्ट आने से पहले ही उनका इंतकाल हो गया।

उन्होंने कहा कि अगर अस्पताल वाले ऐसी लापरवाही नहीं करते तो डॉ वली को बचाया जा सकता था। बिहार के शिवहर जिले में पैदा हुए डॉक्टर वली दिल्ली विश्वविद्यालय में अरबी के प्रोफेसर थे और दो बार विभाग प्रमुख रह चुके थे। उन्होंने अरबी भाषा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया था और कई किताबें लिखी थी। अरबी व्याकरण के वे बड़े विद्वान माने जाते थे।

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