राज्य सरकार के इस निर्णय से अभिभावकों को 1 से 8 हजार रुपए तक (अलग-अलग निजी स्कूलों की सालाना फीस व अतिरिक्त शुल्क के आधार पर अनुमान) कम देने होंगे। इस दौरान की बस फीस भी नहीं ली जा सकेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। लंबे समय से अभिभावकों की तरफ से यह बात उठाई जा रही थी कि निजी स्कूल संचालक पूरी फीस की डिमांड कर रहे हैं। ऐसे स्कूलों की फीस 30 हजार रुपए से लेकर सवा लाख रुपए सालाना तक है।
ट्यूशन फीस के अतिरिक्त इसमें काफी बड़ी राशि है, जो 30 से 50 प्रतिशत तक होती है। इसमें से ही लाॅकडाउन पीरियड का पैसा नहीं लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लाॅकडाउन खत्म होने के बाद जब स्कूल शुरू होंगे, उसके बाद संचालक बाकी फीस के बारे में निर्णय लेंगे। इसी तरह राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश बोर्ड के स्कूलों के लिए भी कुछ बड़े फैसले लिए हैं। मध्य प्रदेश बोर्ड के दसवीं कक्षा के बचे हुए पेपर भी अब नहीं लिए जाएंगे। मध्य प्रदेश बोर्ड के ही बारहवीं कक्षा के बारे में राज्य सरकार ने तय किया है कि जितने पेपर शेष हैं, उनकी परीक्षा 8 से 16 जून के बीच कराई जाए।
राज्य सरकार ने यह भी तय किया है कि जो भी फैसले लिए गए हैं, उनकी मॉनिटरिंग जिले के कलेक्टर करेंगे। यदि इसके बाद भी किसी निजी स्कूल से शिकायत आती है तो कलेक्टर सख्त निर्णय लेंगे। मध्य प्रदेश बोर्ड में दसवीं कक्षा के बचे हुए पेपर को नहीं लिए जाने के साथ यह तय हुआ है कि जितने पेपर हो गए हैं, उन्हीं के अंकों के आधार पर रिजल्ट तैयार होगा। मैरिट बनेगी। पास-फेल इन्हीं पेपर के कुल अंकों के आधार पर बताए जाएंगे। जो पेपर नहीं लिए जा रहे हैं, उनके सामने पास लिखा जाएगा। अंकों का जिक्र नहीं होगा।