ठाणे/झुंझुनू। महाराष्ट्र के ठाणे में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के मद्देनजर पूर्णबंदी के दौरान एक प्रवासी श्रमिक की उस समय मौत हो गई जब वह स्पेशल श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन से अपने गृह नगर जाने के लिए भायंदर से पैदल वसई जा रहा था। मृतक के परिजन राजस्थान से महाराष्ट्र से शव लाने के लिए अनुमति लेकर रवाना हो रहे चुके हैं।
ठाणे जिले के भायंदर के एक 45 वर्षीय बढ़ई (कारपेंटर) हरीश शंकरलाल की गुरुवार शाम उस समय मृत्यु हो गई जब वह राजस्थान जाने वाली श्रमिक ट्रेन पकड़ने के लिए वसई तक 30 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर रहा था।
राजस्थान के झुंझुनू जिले के सूरजगढ़ क्षेत्र के लोटिया गांव के रहने वाले कारपेंटर हरीश ने दस दिन पहले राजस्थान जाने के लिए अपना पंजीकरण किया था। इलाके के कुछ लोगों ने उसे बताया कि राजस्थान के लिए ट्रेन गुरुवार शाम को वसई से रवाना होगी। पीड़ित के पास उस समय कोई पैसा नहीं था इसलिए पैदल ही ट्रेन पकड़ने का फैसला किया।
इस बात की पुष्टि किए बिना कि उसका नाम ट्रेन में निर्धारित यात्रियों की सूची में है। पीड़ित चिलचिलाती धूप में पैदल ही चलता रहा और जैसे ही वह वसई स्टेशन के पास पहुंचा वह अचानक बेहाश होकर गिर गया और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
अधिकारियों ने कहा कि उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेज दिया गया है और कोरोना जांच के लिए नमूना भी लिया गया है। कुछ स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि अधिकारियों ने उन प्रवासी मजदूरों को रेलवे स्टेशनों तक पहुंचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की, जहां से ट्रेन पकड़ना है। सभी मजदूरों को खुद ही रेलवे स्टेशन तक पहुंचने की अपनी व्यवस्था करनी पड़ती है।
वसई के तहसीलदार किरण सुरवसे ने बताया कि उन्होंने वसई के लोगों के लिए ही ट्रेन से यात्रा करने की व्यवस्था की थी। उन्होंने यह भी कहा कि कल दो ट्रेनें वसई से एक जौनपुर के लिए और दूसरी सीकर के लिए कुल 3045 यात्रियों के साथ रवाना हुईं थी। उन्होंने आंशंका जताई कि किसी ने पीड़ित व्यक्ति को गलत जानकारी दी हो।