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VIDEO : मृत आत्माओं को भी लॉकडाउन हटने का इंतजार, अस्थि विसर्जन अटका

अजमेर। वैश्विक महामारी कोरोना अब मृतकों के मोक्ष में भी बाधक बन गई है। लॉकडाऊन के कारण शोकाकुल परिजन कलश में रखी अस्थियों को गंगा मे विसर्जित नहीं कर पा रहे, मजबूरन श्मशान में बनी अलमारियों और लॉकर्स में ही सुरक्षित रखने को मजबूर हैं। लॉकडाऊन हटने पर ही इन अस्थियों का विधिवत विसर्जन हो पाएगा। अकेले गड्डी मालियान श्मशान घाट पर बडी संख्या में ऐसे अस्थिकलशों को श्मशान कमेटी ने सुरक्षित रखवाया हुआ है।

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हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता हैं कि गंगा नदी में अस्थियों को विसर्जन करने से मोक्ष मिलता हैं। इतना ही नहीं लॉकडाऊन के चलते शवयात्रा तथा तथा उठावने में भी परिजनों सहित 20 से ज्यादा लोग शामिल भी नहीं हो पा रहे। ऐसे में 12 दिन तक होने वाली रस्में भी शोकाकुल परिजन के सदस्य अपने स्तर पर करने को मजबूर हैं। रिश्तेदार चाह कर भी संवेदना जताने तक को नहीं पहुंचपा रहे।

प्रशासनिक रोक के कारण लोग शवयात्रा की बैण्कुंठी पैदल की बजाय शववाहन पर निकाली जा रही है। हिन्दू धर्म के पवित्रग्रन्थ गरुड़ पुराण में कहा गया कि मृतक की अस्थियों का गंगा विसर्जन में सांस टूटने के 10 दिन के भीतर हो जाना चाहिए। अस्थियों के गंगा विसर्जन के बाद ही जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। मोक्ष के बाद जीव को अगली योनी प्राप्त होती है। हालांकि कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन ने इस परंपरा को थाम दिया है।

 

आलम यह है कि अकेले गड्डी मालियान श्मशान स्थल पर लॉकर्स और अल्मारियां अस्थिकलशों से भर गई है। इन अस्थि कलश पर मृतकों के नाम, पता, दिनांक की पर्ची लगाई गई है ताकि अस्थिकलशों की पहचान करना सहज रहे। कुछ लोग तो श्मशान स्थल पर दाग के बाद अपने प्रियजन के अस्थित कलश को अपने घर में रख रहे हैं।

श्मशान कमेटी के अध्यक्ष नेमीचंद बबेरवाल ने बताया कि गड्डी श्मशान में करीब 100 अस्थि कलश का आंकडा छूने को है। इन अस्थिकलशों को व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से रखा गया है।

लॉकडाउन के प्रशासन की ओर से तय दिशा निर्देशों के अनुसार श्मशान स्थल को भी प्रत्येक दाह संस्कार के बाद सेनीटाईज करने के साथ ही दाह संस्कार के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। मुंह पर मास्क लगाए बिना किसी को भी भीतर प्रवेश नहीं दिया जाता। दाह संस्कार के दौरान 20 से ज्यादा परिजनों प्रवेश वर्जित किया हुआ है। हाथ धोने के लिए अलग से नल की सुविधा के साथ साबुन और सैनिटाइजर की भी व्यवस्था की गई है।

लॉकडाऊन के चलते अस्थि/बेण्कुधाम के सामान की दुकाने भी बंद हैं, ऐसे में सूचना मिलने पर यह सब सामान उचित दर पर उपलब्ध कराने की सेवा भी दी जा रही है। शववाहन की निशुल्क व्यवस्था भी श्मशान कमेटी की ओर से प्रदान की जाती है।

मीडिया प्रभारी प्रदीप कच्छावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रेलमंत्री पीयूष गोयल से देश के विभिन्न राज्यों से अस्थियों विसर्जन ट्रेन हरिद्वार तक चलाने साथ ही उतंराचल के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द सिहं रावत से लॉकडाऊन में हरिद्वार शहर में आवागमन, विसर्जन की रस्मों को पूरा करने में रियायत दिए जाने की अपील की है। कच्छावा ने कहा कि स्थानीय प्रशान को पुष्कर सरोवर में भी विसर्जन की छूट देनी चाहिए। फिलहाल पुष्कर के सभी रास्ते बंद होने से शोकाकुल परिजन नहीं पहुंच पा रहे। देश में श्रमिक ट्रेन चलने के बाद शीध्र ही विभिन्न राज्यों से अस्थि विसर्जन ट्रेन भी हरिद्वार व पुष्कर तक चलाए जाने की आवश्यकता है।

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