प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि फ्राड और न्याय एक साथ नहीं रह सकते और फर्जी डिग्री से हुई नियुक्ति शून्य एवं अवैध है,ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति को निरस्त कर बर्खास्त करने के लिए विभागीय जांच की जरूरत नहीं है।
न्यायालय ने विशेष जांच (एसआईटी) जांच रिपोर्ट एवं डा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की रिपोर्ट के बाद सत्र 2005 के बीएडकी फर्जी डिग्री के आधार पर प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त सहायक अध्यापकों की बर्खास्तगी को वैध करार दिया है।
अदालत ने कहा है कि जिनकी डिग्री सही है, उन्हें बहाल कर वेतन भुगतान किया जाए। न्यायालय ने आदेश में यह भी कहा है कि सरकार फर्जी अध्यापकों से वसूली करने के लिए स्वतंत्र हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने सहायक अध्यापिका नीलम चौहान सहित 608 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। विश्वविद्यालय ने 3637 फर्जी छात्रों को नोटिस दी। जिसमें से 2823 ने जवाब नहीं दिया। शेष 814 ने जवाब दिया है। जिसके बारे में निर्णय लिया जाना है।
अदालत ने भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा को तीन माह में 814 छात्रों के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया है और कहा है कि यदि निर्णय नहीं लिया जाता तो सरकार 814 सहायक अध्यापकों के वेतन का 10 फीसदी कुलपति, कुलसचिव एवं दोषी अन्य अधिकारियों के वेतन से कटौती सुनिश्चित करे।
अदालत ने कहा है जिन अध्यापकों की डिग्रियां सही है उन्हें बहाल किया जाए । लेकिन जिन अध्यापकों की डिग्रियां सही नहीं है तथा उनमें छेड़छाड़ की गई है, ऐसे अध्यापकों की नियुक्ति को रद्द करना वैध है। न्यायालय ने कहा कि 814 अध्यापकों, जिनके बारे में अभी विश्वविद्यालय को जांच कर निर्णय लेना है, निर्णय होने तक इनके विरुद्ध उत्पीड़न की कार्रवाई न की जाए।
अदालत ने विश्वविद्यालय को अन्य कार्रवाई पूरी करने के लिए छह महीने का समय दिया है।
गौरतलब है कि 2004-05 मे वित्तीय एवं गैर वित्तीय सहायता प्राप्त कालेजों में बीएड कोर्स की भर्ती परीक्षा ली गई। इनमें 57 काॅलेज सहायता प्राप्त एवं 25 कालेज स्व वित्तपोषित है। कुल 8150 सीट है। काउन्सिलिंग एवं प्रबंधक कोटे से प्रवेश दिया गया। कालेजों ने स्वीकृत सीटो से अधिक छात्रों का प्रवेश लिया। उच्च न्यायालय के आदेश पर बीएड परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया।
हजारों लोगो ने अध्यापक भर्ती मे आवेदन करके नौकरी हासिल कर ली। फर्जी डिग्री की शिकायत की जांच एसआईटी को सौंपी गई। जिसने 14 अगस्त 2017 को रिपोर्ट दी। जिसके आधार पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने फर्जी डिग्री वाले हजारो अध्यापकों की नियुक्ति रद्द, उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। कई ऐसे अध्यापक हैं, जो फर्जी छात्र थे। फर्जी डिग्री धारी अध्यापकों पर गाज गिरी है। न्यायालय ने सरकार को कानूनी कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है।