नई दिल्ली। दिल्ली के निजामुद्दीन की मरकज को खाली करा लिया गया है और यहां से कुल 2361 लोगों को निकाला गया है।
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को बताया कि निज़ामुद्दीन के आलमी मरकज़ में 36 घंटे का सघन अभियान चलाकर सुबह चार बजे पूरी बिल्डिंग को ख़ाली करा लिया गया है। इस इमारत में कुल 2361 लोग बाहर निकाले गए जिनमें से 617 को अस्पतालों में और बाक़ी को अलग-अलग क्वारंटीन में भर्ती कराया गया है।
सिसोदिया ने लाॅकडाउन में सभी से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि क़रीब 36 घंटे के इस अभियान में मेडिकल स्टाफ़, प्रशासन, पुलिस और डीटीसी स्टाफ़ सबने मिलकर तथा अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया। इन सबको दिल से सलाम।
गौरतलब है कि निजामुद्दीन की मरकज में तब्लीगी समाज का कार्यक्रम था जिसमें बडी संख्या में लोग जमा हुए थे। बाद में यहां से लोग देश के विभिन्न राज्यों में गए जिससे कोरोना वायरस का संक्रमण बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
निजामुद्दीन में लोगों का एकत्र होना ‘तालिबानी जुर्म’
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने लाॅकडाउन के बावजूद निजामुद्दीन में हजारों की संख्या में तब्लीगी समाज के जुटने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे तालिबानी जुर्म करार देते हुए कहा है कि इसे माफ नहीं किया जा सकता है।
नकवी ने कहा कि एकतरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूरा देश कोरोना वायरस के प्रकोप की चुनौती से पार पाने में जुटा है वहीं तब्लीगी समाज ने लाॅकडाउन के बावजूद इतनी बडी संख्या में एकत्रित होकर गंभीर अपराध किया है। यह जानबूझकर किया गया अपराध है जो माफ नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा,“तबलीगी जमात का ‘तालिबानी जुर्म’.. यह लापरवाही नहीं, ‘गम्भीर आपराधिक हरकत’ है। जब पूरा देश एकजुट होकर कोरोना से लड़ रहा है तो ऐसे ‘गम्भीर गुनाह’ को माफ नहीं किया जा सकता।