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कोरोना वायरस को लेकर चीन पर 200 खरब डालर का मुकदमा

नई दिल्ली। कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के ‘विकास एवं निस्तार और घटनावश या अन्य’ के तहत उसे जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के आरोप में चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के उल्लंघन के मामले में अमेरिका के टेक्सास के जिला न्यायालय में 200 खरब अमरीकी डॉलर से अधिक की क्षतिपूर्ति के लिए मुकदमा दायर किया गया है।

 

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि कोरोना वायरस को वुहान शहर के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लापरवाही से निस्तारित किया गया था जिसने एक ‘जैविक हथियार’ के रूप में अमरीका के नागरिकों को बुरी तरह प्रभावित किया।

शिकायत में कहा गया है कि चीन के पीपुल्स रिपब्लिक, उसकी एजेंसियों और अधिकारियों ने कोरोना वायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत किए गए समझौते का उल्लंघन किया है। उससे हुए नुकसान और समान राहत के लिए यह शिकायत दर्ज कराई गई है।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि असल में नया कोरोना वायरस जनसंख्या केन्द्रों पर सामूहिक विनाश का एक आतंकवाद-सरीखा हथियार है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 चीन द्वारा तैयार किया गया एक बहुत ही ‘प्रभावी’ और बड़े पैमाने पर आबादी को मारने के लिए भयावह जैविक युद्धक हथियार के रूप में डिज़ाइन किया गया था। इस बीमारी की प्रकृति के अलावा कई और संकेत हैं जो दिखाते हैं कि वायरस चीन की सेना की प्रयोगशाला या प्रयोगशालाओं में तैयार किया गया था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पहली बार चीन के शहर वुहान में उत्पन्न हुआ यह वायरस दुनिया के 189 देशों में फैलकर 334,000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया और 14,500 से अधिक लोग इसके प्रकोप से मारे गए हैं।

याचिकाकर्ताओं ने उन रिपोर्टों की ओर इशारा किया जिनमें चीन सरकार ने किस तरह वुहान और चीन के डॉक्टरों को इस नई बीमारी के बारे में किसी भी जानकारी का खुलासा करने से मना करने से संबंधित प्रयासों के बारे में अवगत कराया है।

उन्होंने कहा कि इस नए कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी का खुलासा करने का प्रयास कर रहे डॉक्टरों और शोधकर्ताओं को या तो गिरफ्तार कर लिया गया या फिर वे ‘गायब’ हो गए।

शिकायतकर्ताओं ने उन रिपोर्टों का भी जिक्र किया है जिसमें एक प्रमुख चीनी स्वास्थ्य पेशेवर मेजर जनरल चेन वी ने कोरोना वायरस के प्रकोप को फैलने से रोकने के लिए बिना परीक्षण किए गए एक वैक्सीन को स्वयं इंजेक्ट करने का कथित प्रयास किया था।

शिकायतकर्ताओं ने उन रिपोर्टों का भी उल्लेख किया जिसमें चीनी सरकार ने ऐसे भविष्य के खतरों को रोकने के प्रयासों को लेकर जैविक प्रयोगशालाओं की सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास किया है। याचिका में कहा गया है कि चीन के सैन्य और राष्ट्रीय नेतृत्व ने स्पष्ट रूप से कोविड-19 की उत्पत्ति और प्रसार को सुरक्षा प्रोटोकॉल और चीन के बायो-मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाओं में नियंत्रण से जोड़ा है।

याचिकाकर्ताओं ने ‘द हिल’ के एक लेख का हवाला देते हुए कहा कि इस सिद्धांत का विशेषज्ञों ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि कई प्रतिष्ठित लोग, संगठन और विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह संकट तब शुरू हुआ जब एक चीन के जैविक हथियारों की सुविधा से लैस एक इकाई ने अचानक कोविड-19 वायरस को वायुमंडल में छोड़ दिया।

याचिकाकर्ताओं ने वायरस के प्रकोप के लिए चीनी सरकार पर मुकदमा चलाने और कार्रवाई करने के लिए विभिन्न कारणों का हवाला दिया है जिनमें अमरीकी नागरिकों को मौत या गंभीर शारीरिक चोटों का खतरा, आतंकवादियों को सामग्री समर्थन का प्रावधान शामिल है।शिकायतकर्ताओं ने अपनी इन आधारों के मद्देनजर 200 खरब अमेरीकी डॉलर से अधिक के हर्जाने की मांग की है।

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