रतलाम। चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश प्रियदर्शन शर्मा ने पत्नी की हत्या के आरोप में ग्राम भैसाडाबर थाना सैलाना निवासी इंद्रजीतसिंह उर्फ बिट्टुसिंह पिता भगवानसिंह राजपूत को दोषी पाया। उसे धारा 302 के तहत आजीवन कारावास व 1 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। अन्य आरोपी जेठ, जेठानी, सास व ननद को आरोप प्रमाणित नहीं होने पर बरी कर दिया।
अभियोजन के अनुसार 21 अक्टूबर को भैसाडाबर निवासी टीका उर्फ कीका कुंवर को जलने पर जिला चिकित्सालय लाया गया था। उसे बाद में रतलाम से रैफर कर इंदौर भेजा गया था, इंदौर के अरबिंदो हास्पिटल में 25 अक्टूबर 2011 को उसकी मौत हो गई थी। सैलाना पुलिस ने तत्कालीन एसडीओपी पीआर बरसेना की जांच रिपोर्ट पर पति इंद्रजीतसिंह उर्फ बिट्टू सिंह, जेठ गोपालसिंह, जेठानी गोविंद कुंवर, सास जगदीशकुंवर और ननद रानू कुंवर के विरुद्ध भादंवि की धारा 304बी विकल्प में 302 के तहत दहेज हत्या, 498ए दहेज प्रताडऩा और दहेज प्रतिशेध अधिनियम की धारा 4 के तहत प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया था।
न्यायालय में शेष आरोपियों पर दहेज के लिए प्रताडऩा व हत्या संबंधी आरोप प्रमाणित नहीं होने से उन्हें बरी कर दिया गया। आरोपी पति इंद्रजीत को अर्थदंड नहीं भरने पर 6 माह का कारावास भुगताने के भी आदेश दिए गए हैं। प्रकरण में अभियोजन की पैरवी अपर लोक अभियोजक प्रकाश राव पंवार द्वारा की गई। बरी हुए आरोपियों की पैरवी अभिभाषक अमीन खान, शादाब खान, रजनीश शर्मा ने की।
बेटे को टोपी पहनाना महंगा पड़ा
टीकाकुंवर ने जिला अस्पताल में उपचार के दौरान तत्कालीन तहसीलदार संजय वाघमारे को मृत्युकालीन कथन दिए थे। इसमें बताया था कि घटना से एक दिन पूर्व 20 अक्टूबर को उसने अपने बेटे को सिर पर टोपी पहनाई तो पति ने गुस्से में आकर टोपी फैंक दी थी। बेटे के रोने पर फिर टोपी पहनाई तो पति ने उसके साथ मारपीट की। टीकाकुंवर ने इसपर मायके वालों को फोन कर उसे ले जाने को कहा था।
20 अक्टूबर की रात सबके भोजन करने के बाद वह भूखी सो गई थी। सुबह 4 बजे लाइट बंद होने पर उसके पति ने चिमनी जलाई। चिमनी बुझने पर उसने फिर कोशिश की तो उसे लगा कि उसके ऊपर कुछ गिरा है। पति से पूछने पर उसने गलती से घासलेट गिरना बताया। लेकिन जब उसने आंखे खोलकर देखा तो पाया कि पति उस पर घासलेट डाल रहा था। पति को मना किया तो वह माचिस की तीली जलाकर भाग गया।