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लक्ष्मी लोप हुई और ” स्वर्ग ” वैभव हीन होने लगा 

 

न्यूज नजर

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि मधु कैटभ महिषासुर शुंभ निशुभ आदि का महाशक्ति ने विनाश कर स्वर्ग को लक्ष्मी सम्पन्न और वैभव शाली बना दिया था।

भंवरलाल
ज्योतिषाचार्य एवं संस्थापक,
जोगणिया धाम पुष्कर

उसके बाद भी कई राक्षसों को मारने के लिये सृष्टि के त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु और महेश ने मिलकर बहुत मुश्किल से उनका वध कर दिया और अपने शोर्य पराक्रम की वीर गाथाएँ उन महाशक्ति के तीन रूप सरस्वती लक्ष्मी और काली को सुनाते रहे। इस विजय के आनंद में वह लक्ष्मी और काली का भी अपमान करने लगे। अपने इस अपमान को देख लक्ष्मी और काली इस जगत से लोप हो गयीं और सारी सृष्टि श्री और वैभव हीन हो गयी। त्रिदेवों की सारी शक्तियां जातीं रही और
उनका भी तेज शनैः शनैः खत्म होने लगा।

          सभी देवों ने यह स्थिति देख ब्रह्मा जी से निवेदन किया कि कुछ उपाय कीजिए। ब्रह्मा जी समझ गये कि लक्ष्मी चंचला है वह अपना अपमान व बंदिशों को बर्दाश्त नहीं करती हैं और शक्ति के सामने सभी गौण है। स्थिति को भांप ब्रह्मा जी उस महाशक्ति की उपासना करने लगे तब शक्ति ने प्रकट हो कर कहा कि हे ब्रह्मा इन दोनों देवों को अपनी शक्ति पर अभिमान हो गया था इसलिए लक्ष्मी समुद्र का मंथन करने के बाद ही प्रकट होंगी और उसके साथ निकले रत्न ही इस स्वर्ग को फ़िर वैभव शाली बनायेगे। जहां लक्ष्मी बंदिशो में नहीं रहेंगी और सर्वत्र खुले में विचरण करेगी तथा पर्वतों के राजा हिमालय यदि तैयार होते हैं तो वहां काली पार्वती के रूप में पुन जन्म लेगी। इसलिए तुम सब देव शक्ति की उपासना करो नहीं तो यह लक्ष्मी ओर शक्ति अपने बिना स्वर्ग का अस्तित्व खत्म हो जायेगा।

               संतजन कहते हैं कि हे मानव कथाएं सकेत देती हैं कि लक्ष्मी पर बढ़ायी गयी बंदिशों से वह चंचला प्रकृति की होने के कारण सारी अर्थव्यवस्था को चोपट बना डालती है और अपने तरल स्वभाव को छोड़ वह तरलता के सागर से निकल कर उसके पेंदे में बैठ जाती है, उसकी सम्पूर्ण तेरह निधियां या रत्न भी लोप हो जाते हैं और जुबानी जमा खर्च की तरह व्यक्ति केवल योजनाए बनाने में ही समय व्यतीत करता रहता है। 

       इसलिए हे मानव चाहे धनलक्ष्मी हो या फिर गृह लक्ष्मी हो इन पर हर तरह की बंदिशे घर की सुख समृद्धि और वृद्धि को रोक देती हैं। भले ही गृह स्वामी कितनी भी मीठी मीठी बाते कर ले। लक्ष्मी की तरलता और गृह लक्ष्मी की बंदिशे अंत में वैभवशाली घर का पतन कर देती हैं।

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