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चित्रगुप्त- महाराज इस लड़के की जान क्यों ले ली ?…

 

चित्रगुप्त- महाराज इस लड़के की जान क्यों ले ली ?
यमराज – क्यों आपको क्या परेशानी है।
चित्रगुप्त- महाराज , इसको वक्त से पहले ही क्यों मारा ?
यमराज – क्या करूं, मार्च महीने के अंत में टारगेट पूरा करना पड़ता है।

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स्कूल से अपने बेटे पप्पू के काफी सारे प्रेम प्रसंगों और बुरी आदतों की शिकायतें आने के बाद एक दिन संता उसे बुलाया और कहा।

संता: बेटा मुझे समझ नहीं आ रहा तुम्हे कैसे कहूं पर मुझे लगता की वह वक्त आ गया है जब हम दोनों स्त्री-पुरुष संबंधों के बारे में आपस में खुल कर बातचीत करें।

संता की बात सुन पप्पू तपाक से बोला, “अरे पापा शर्माइये नहीं बताइए ना आप क्या जानना चाहते हैं”?

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एक बार एक औरत बच्चे को लिए रो रही थी।

एक सिंधी उस से रोने की वजह पूछी तो औरत ने कहा, ” मेरा बच्चा बीमार है और मेरे पास दवा के लिए पैसे नहीं हैं।

यह सुन कर सिंधी ने उसे 1000 का नोट दे दिया और कहा, ” जाओ दवा लो और 100 का दूध ले लेना और बाकी पैसे मुझे वापस दे दो।

औरत थोड़ी देर बाद दवा और दूध लेकर आई और सिंधी को 650 रूपए वापस कर दिए।

यह देख सिंधी खुश हुआ और सोचने लगा कि, ” नेकी कभी बर्बाद नहीं जाती… डॉक्टर को फ़ीस मिल गयी, बच्चे को दवा मिल गयी और
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मेरा नकली नोट भी चल गया।

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एक बार एक फ़क़ीर भीख मांगने के लिए मस्जिद के बाहर बैठा हुआ होता है।

सब नमाज़ी उस से आँख बचा कर चले गए और उसे कुछ नहीं मिला।

वो फिर चर्च गया।

फिर मंदिर और फिर गुरुद्वारे।

लेकिन उसको किसी ने कुछ नहीं दिया।

आखिरी में वह हार कर एक शराब की दुकान के बहार आ कर बैठ गया।

उस शराब की दुकान से जो भी निकलता उसके कटोरे में कुछ न कुछ डाल देता।

कुछ देर बाद उसका कटोरा नोटों से भर गया तो नोटों से भरा कटोरा देख कर फ़क़ीर ने आसमान की तरफ देखा और बोला।

“वाह रे प्रभु” रहते कहाँ हो और पता कहाँ का देते हो…!

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