हालांकि पिछले साल की तुलना में पहाड़ों पर अभी भारी मात्रा में बर्फ नहीं गिरी है लेकिन तापमान लुढ़कने से झीलें जमने लगी हैं। तापमान के लुढ़कते ही लाहौल घाटी में सर्दियों का आगाज भी हो गया है। दूसरी ओर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रोज हो रही बर्फबारी से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह मार्ग भी पारा गिरते ही ठंड से मार्ग पत्थर होने लगा है। यह मार्ग 15 अक्तूबर को प्रशासनिक तौर पर बंद हो गया था लेकिन मौसम साफ रहने से बारालाचा दर्रे सहित शिंकुला व कुंजम दर्रे में वाहनों की आवाजाही सुचारू है। बढ़ती ठंड को देखते हुए बीआरओ ने भी सरचू, भरतपुर सिटी, बारालाचा, जिंगजिंगबार और पटसेउ से अपना काम समेटना शुरू कर दिया है।
लाहौल के ट्रैकरों बीरू, रिंग्जिन, सोनम और दोरजे ने बताया कि पारा माइनस में जाने से घाटी की झीलें जम गई हैं। घाटी में भी पारा माइनस पर लुढ़कने लगा है। जिला पर्यटन विकास अधिकारी बीसी नेगी ने कहा कि टै्रकिंग एजैंसियों को हिदायतें जारी कर दी गई हैं। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने वाले ट्रैकरों का पंजीकरण, सही मार्गदर्शन करने और ठंड से बचने के लिए जरूरी सामान आदि साथ रखने को कहा है। बीआरओ कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया कि बर्फबारी होने से लेह मार्ग जम गया है।