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दीपक हर किसी घर में जलाया जाता हैै, दीये में सूत की बाती के साथ तेल या घी डालकर जलाते हैं। पहले लोग दीया मिट्टी से बनाकर जलाते थे लेकिन अब पात्र के दिया का चलन भी हैं । प्रकाश करने के लिए दीये का इतिहास कितना पुराना है इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता हैं, लेकिन आदि समय में गुफाओं में भी दीया मनुष्य के साथ था।
दीपक जलाने का मतलब होता है कि अपने जीवन से अंधकार हटाकर प्रकाश फैलाना। प्रकाश प्रतीक होता है ज्ञान का। इसलिए कहा जाता है कि पूजा में दीपक जलाकर हम अंधकार को अपने जीवन से बाहर करते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति पर अग्निदेव प्रसन्न होते हैं और उसे जीवन में कई तरह की परेशानियों से बचाते हैं। इसके अलावा पूजा में दीपक जलाने के कई फायदे और मान्यताएं बताई जाती हैं।
ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि ब्रम्हवर्तक पुराण, देवी पुराण, उपनिषदों तथा वेदों में में इस बात का वर्णन है कि पूजा के समय गाय के देसी घी और तिल के तेल का ही इस्तेमाल करना शुभ माना गया है।
देवी-देवताओं की पूजा बिना दीपक जलाए पूरी नहीं हो सकती है। अगर विधिवत पूजा नहीं कर सकते हैं तो सिर्फ दीपक जलाएं और एक विशेष मंत्र बोलकर सामान्य पूजा की जा सकती है। मंदिर में आरती लेते समय भी यहां बताए जा रहे मंत्र का जाप करना शुभ रहता है।
मंदिर या अपने घर के देव स्थान पर दीपक जलाते वक्त ध्यान रखें कि मिट्टी का दीपक खंडित न हो, पूजा स्थान पर टूटा हुआ दीपक रखना वर्जित माना जाता है। ध्यान रखें दीपक जलाते समय वह बीच में बुझना नहीं चाहिए। यदि दीपक पूजा के बीच में बुझ जाता है तो उसे अशुभ माना जाता है।
दीपक जलाते समय और मंदिर में आरती लेते समय इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
मंत्र-
दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।
इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का नाश और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली दीपक की ज्योति को हम नमस्कार करते हैं।
वैसे माना जाये तो भारत में दीये का इतिहास 5000 वर्षो से भी अधिक पुराना है । वेदों में अग्नि को देवता के समान माना गया है । यहीं वजह है कि आज भी भगवान के सामने शुभी कार्य के समय दीपक जलाते हैं।
जानिए कौनसा दीपक देगा क्या लाभ
पीतल का दीपक माना जाता है शुद्ध
आजकल बाजारों में स्टील के दीपक भी प्रचलन में हैं लेकिन प्राचीन समय से पीतल धातु को ही पूजा में रखने के लिए शुभ माना गया है । पूजा में दीपक जलाते हैं तो पीतल का ही दीपक लेकर आए । इसमें दीपक जलाने से आपकी आयु और आय दोनों में वृद्धि होती है । पीतल के दीपक को समय-समय पर साफ करते रहें। गंदे दीपक में दिया जलाने से आपको पूजा का फल प्राप्त नहीं होगा ।
मिट्टी का दिया सबसे शुभ
भगवान आपके मंदिर का वैभव नहीं देखते वो देखते हैं कि आप उनकी सच्चे मन से प्रार्थना कर रहे हैं कि नहीं । भगवान की पूजा के लिए मिट्टी के दिए सबसे शुभ माने जाते हैं । बस ये ध्यान रखें कि ये दिए टूटे फूटे ना हों, इनमें से तेल लीक ना कर रहा । मिट्टी को आग में पकाकर दिए बनाए जाते हैं, ये बहुत ही शुभ और पवित्र माने जाते हैं । पूजा में इस्तेमाल करते हुए इन्हें पानी में कुछ देर भिगा दें ।
ऐसी बाती करें इस्तेमाल
घरों में दीपक जलाने के लिए उसमें बाती लगाई जाती है । ज्यादातर घरों में रुई की बाती बनाई जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं रुई की बाती से भी शुभ एक ऐसी चीज है जिसकी बाती लक्ष्मी के आने का मार्ग प्रशस्त करती है । दिए में मौली की बाती बनाकर जलाएं, ये बाती प्रकाश के साथ आपके जीवन में सारी खुशियों को ले आएगी, समृद्धि के नए द्वार खोलेगी।
जलते हुए दीपक को स्वयं से कभी ना बुझाएं
हिन्दू धर्म में दीपक की बड़ी महत्ता है । अन्धकार को दूर कर प्रकाश लाने वाले दीपक के बारे में नियम ये है कि इसे कभी भी स्वयं से नहीं बुझाना चाहिए।
ध्यान रखें, जलते हुए दीपक से कभी अगरबत्ती या धूपबत्ती नहीं जलानी चाहिए। शुद्ध घी का दीपक पूजा में अपनी दायीं ओर और तेल का दीपक अपनी बायीं ओर प्रज्वलित करें .अपनी सामर्थ्य के अनुसार दीपक जलाएं । तेल या घी नहीं प्रभु आपकी श्रद्धा से प्रसन्न होते हैं ।
खंडित दीपक वर्जित
खंडित मूर्तियों की ही तरह खंडित दीपक आपकी पूजा को पूर्ण नहीं करता है । पूजा करते समय अक्सर लोग इस बात का ध्यान नहीं देते हैं कि वो जिस दीपक का प्रयोग कर रहे हैं वो टूटा तो नहीं है। पूजा से पहले दीपक जरा भी टूट जाए या फिर खंडित हो जाए तो उसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा नहीं करने से पूजा का फल आपको नहीं मिल पाता है। इस गलती से हमेशा बचें।
जानिए दीपक जलाने का धार्मिक कारण-
हमारे धर्मों और शास्त्रों में विषम संख्या में दीपक जलाया जलाने की परम्परा हैं क्योंकि विषम संख्याओ को शुभ माना जाता है ।ऐसा माना जाता है कि दीपक प्रज्वलित करके हम अपने जीवन के अज्ञान का अंधकार मिटाकर ज्ञान का प्रकाश करते हैं ।
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार हमारे धर्म और शास्त्र में दीपक जलाना अनिवार्य माना गया हैं। आरती करने के पश्चात दीपक जलाने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है । इससे घर में लक्ष्मी का स्थायी रूप से वास होता है । इतना ही नही हमारे शास्त्रों में दीपके के अलावा पंचामृत का बहुत महत्व है और घी पंचामृत मे से एक माना गया है ।
जानिए दीपक जलाने के वैज्ञानिक कारण-
घर में दीपक जलाने का धार्मिक कारण भी है। गाय के घी में रोगाणुओं को दूर भगाने की क्षमता होती है । गाया का घी जब अग्नि के संपर्क में आता है तब वातावरण का पवित्र कर देता है। दीपक जलाने से घर प्रदूषण मुक्त हो जाता है। इसके साथ ही घर के सारे सदस्यो को लाभ हाता है चाहे वह पूजा में शामिल हो या न हो ।
दीपक जलाते समय बोले यह मंत्र
“दीपज्योतिर: परब्रह्मर: दीपज्योतिर: जनार्दनर:।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।”
जानिए दीपक जलाने के सही नियम
दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से आयु में वृद्धि होती है।
ध्यान रहे कि दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ओर रखने से दुख बढ़ता है।
दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धन लाभ होता है।
दीपक की लौ कभी भी दक्षिण दिशा की ओर न रखें, ऐसा करने से जन या धनहानि होती है।
दीपक जलाते समय सिर खुला न रखें. पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुह करके ही दीपक जलाएं।
कभी भी घर में सरसों के तेल का दीपक न जलाएं, घर में तिल के तेल का या घी का दीपक जलाएं।
दीपक को मुह से फूंककर न बुझाएं, अगर बुझाना ही है तो आंचल या कपड़े से हवा करके बुझाएं।
देवी-देवताओं के सामने घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर लगाना चाहिए। तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर लगाना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री बताते हैं कि पूजा के बीच में दीपक बुझना नहीं चाहिए। ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। अगर दीपक बुझ जाता है तो तुरंत जला देना चाहिए और भगवान से भूल-चूक की क्षमा-याचना करनी चाहिए।
घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग करना चाहिए। जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती ज्यादा शुभ रहती है।
अगर घर में नियमित रूप से दीपक जलाया जाता है तो वहां हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। दीपक के धुएं से वातावरण में उपस्थित हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार रोज शाम को मुख्य द्वार के पास दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसी कारण से शाम को मेन गेट के पास दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है।
दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवाह बना रहता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर भागती है।
सामान्यतया घी या तेल के दीपक जलाने की परंपरा रही है। पूजा के समय दीपक कैसा हो, उसमें कितनी बत्तियां हो यह जानना बेहद रोचक व जानकारीपरक होता है।
किसी भी देवी या देवता की पूजा में शुद्ध गाय का घी या एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से प्रज्जवलित करने चाहिए। विशेष रूप से भगवती जगदंबा, दुर्गा देवी की आराधना के समय।
दो मुखी घी वाला दीपक माता सरस्वती की आराधना के समय और शिक्षा प्राप्ति के लिए जलाना चाहिए।
भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाएं।
इष्ट सिद्धि, ज्ञान प्राप्ति के लिए गहरा और गोल दीपक प्रयोग में लें। शत्रुनाश, आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक इस्तेमाल करें।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए।
हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करें।
दीपक मिट्टी, आटा, तांबा, चांदी, लोहा, पीतल और स्वर्ण धातु के हो सकते हैं लेकिन मूंग, चावल, गेहूं, उड़द और ज्वार को सामान्य भाग में लेकर इसके आटे का दीपक सर्वश्रेष्ठ होता है।
किसी साधना में अखंड जोत जलाने का भी विधान है जिसे गाय के घी और तिल के तेल के साथ भी जलाएं।
इस प्रकार दीपक जलाकर मंत्र बोलने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और शत्रुओं से हमारी रक्षा होती है।