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हजारों साल में पहली बार दोपहर में विश्राम नहीं कर पाए जगतपिता ब्रह्माजी

अजमेर। तीर्थनगरी पुष्कर में स्थित दुनिया के एकमात्र जगतपिता ब्रह्मा मंदिर में एकादशी पर अनोखी घटना घटी। सदियों में यह पहला अवसर था जब जगतपिता दोपहर में विश्राम नहीं कर सके। यानी दोपहर में भी मंदिर के पट खुले रहे। मंदिर के पुजारी ने इस पर घोर आपत्ति भी जताई लेकिन प्रशासन ने इसे दरकिनार कर दिया।
ब्रह्मा मन्दिर एक भारतीय हिन्दू मन्दिर है जो भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर ज़िले में पवित्र स्थल पुष्कर में स्थित है। इस मन्दिर में जगत पिता ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है। इस मन्दिर का निर्माण लगभग 14वीं शताब्दी में हुआ था जो कि लगभग 700 वर्ष पुराना है।
वर्तमान में इस मंदिर की व्यवस्था का जिम्मा अस्थाई मंदिर प्रबंधन कमेटी के पास है जिसकी मुखिया उपखण्ड अधिकारी देविका तोमर हैं।
ब्रह्मा मंदिर नियमित रूप से सुबह 5 बजे खुलता है। दोपहर में 1:30 से 3 बजे तक बंद रहता है। दोपहर 3 बजे बाद फिर से मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खोला जाता है। रात 9 बजे शयन आरती के बाद बंद होता है। मंदिर की यह परम्परा सालों से चली आ रही है, लेकिन इस बार एकादशी पर रविवार को दोपहर डेढ़ से तीन बजे तक मंदिर बंद नहीं किया गया। मंदिर के कपाट खुले रहे और दर्शनार्थी बिना किसी रोक-टोक के दर्शन करते रहे।
 अस्थाई मंदिर प्रबंधन कमेटी ने श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण यह निर्णय लिया। जबकि की पुजारी परिवार ने दोपहर में मंदिर खुला रखने के निर्णय पर आपत्ति जताई। मंदिर में नियुक्त व्यवस्थापक रमेश चंद का कहना था कि रविवार को एकादशी के कारण श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक थी। इसलिए श्रद्धालुओं की सुविधार्थ उपखंड अधिकारी तोमर से वार्ता कर दोपहर में मंदिर खुला रखने का निर्णय किया गया। वहीं मंदिर के पुजारी किशन गोपाल वशिष्ठ का कहना है कि इससे पहले भी कई गुना ज्यादा भीड़ उमड़ चुकी है, लेकिन तब भी दोपहर में भगवान को विश्राम दिया गया। यह पहला मौका है जब जगतपिता दोपहर में विश्राम नहीं कर पाए।

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