अजमेर। आस्था, प्रेम एवं सुखद दाम्पत्य जीवन का महामहोत्सव गणगौर बोलावनी के साथ सम्पन्न हुआ। यह राजस्थान का प्रमुख पर्व है जो एक पखवाडे से भी अधिक समय तक मनाया जाता है।
पुष्पा सेन ने बताया कि होली से ही आरम्भ उत्सव गणगौर पूजन एवं विसर्जन एवं समृद्धि, खुशहाली एवं सुखद दाम्पत्य जीवन की कामना एवं अगले साल पुन: निमन्त्रण के साथ सम्पन्न हुआ।
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अरूणा गर्ग ने बताया सभी महिलाएं पारम्परिक वेशभूषा में लोक गीतों की मधुर स्वर लहरियों के साथ गणगौर की पूजा की। राजस्थान में ईसर गणगौर को शिव पार्वती के रूप में पूजा जाता है, वहीं बृज में श्रीकृष्ण एवं यमुना महारानी के स्वरूप में ईसर गणगौर की पूजा की जाती है।
गणगौर पर्व पर भगवान श्री कृष्ण के अष्ट सखाओं सूरदासजी कुमनदासजी ने कई पदों एवं गीतों की रचना की जो आज भी पुष्टीमार्गीय मन्दिरों में गाए जाते हैं। मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर और विवाहित महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए ईसर गणगौर की पूजा करती हैं।