जब सुबह से ही लोग रंगों में सराबोर होना शुरू कर चुके होंगे तो गोकना, खरौली, पूरे निधान, पूरे लल्लू पाण्डेय, पूरे कुशाल गांवों में सन्नाटा पसरा रहेगा। यहां मातम सा माहौल होगा। हां, दो दिन बाद यहां होली की धूम मचेगी। शनिवार को इन गांवों के लोग होली खेलेंगे और पकवान बनाएंगे।
यह है वजह
दरअसल, यहां के निवासी इस वजह से होली नहीं मनाते क्योंकि इस त्योहार के दिन यहां के एक राजा की हत्या हुई थी। जनश्रुति के अनुसार, राजा डालदेव का डलमऊ से लेकर खरौली तक राज्य था। कहते हैं कि दिल्ली के सुलतान रहे अलाउद्दीन खिलजी ने होली के दिन ही राजा की हत्या कर दी थी। तभी से इन गांवों में होली के दिन शोक मनाया जाता है और घरों में चूल्हें तक नहीं जलते हैं।