नई दिल्ली। सरकार ने देश के खुदरा बाजार को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए ‘ई-कॉमर्स विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति’ में भारी बदलाव करते हुए ई-काॅमर्स कंपनियों को किसी भी कंपनी के उत्पाद की विशेष बिक्री करने से प्रतिबंधित कर दिया है।
औद्योगिक नीति एवं सवंर्धन विभाग ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में बताया कि ई-कॉमर्स की मार्केटप्लेस कंपनी किसी भी विक्रेता को अपने प्लेटफॉर्म पर विशेष बिक्री की अनुमति नहीं देगी। इसके अलावा उन्हें सभी उत्पाद विक्रेताओं से यथोचित दूरी बनाकर रखनी होगी तथा वे विक्रेताओं को लॉजिस्टिक, कैशबैक आदि जैसी सेवाएं देने में किसी भी विक्रेता के साथ भेद-भाव का व्यवहार नहीं कर पाएंगी।
ई-कॉमर्स कंपनियों को प्रति वर्ष 30 सितंबर तक रिजर्व बैंक को पिछले वित्त वर्ष के दौरान नये दिशा-निर्देशों के पालन की जानकारी देनी होगी और अनुपालना का प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा। नये नियम 1 फरवरी 2019 से प्रभावी होंगे।
परिवर्तित नियमों के अनुसार ई-कॉमर्स कंपनियाँ बिक्री के लिये भंडार का नियंत्रण या उस पर मालिकाना हक नहीं रख सकेंगी। ऐसा करना पर उसका मॉडल इनवेंटरी आधारित माना जाएगा। यदि कोई ई-मार्केट प्लेस कंपनी या उसकी सहायक कंपनियाँ किसी विक्रेता के 25 प्रतिशत से ज्यादा उत्पाद खरीदती हैं तो यह माना जायेगा कि उसकी इनवेंटरी पर उस कंपनी का नियंत्रण है।
पहले किसी ई-मार्केट प्लेस कंपनी को राजस्व के आधार पर 25 प्रतिशत से ज्यादा उत्पाद एक ही विक्रेता से लेने की अनुमति नहीं थी। अब इस नियम को समाप्त कर दिया गया है।
किसी विक्रेता की कंपनी या उसकी इनवेंटरी में हिस्सेदारी रखने वाली ई-काॅमर्स कंपनी या उसकी सहयोगी कंपनियों के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उस विक्रेता के उत्पाद बेचने की अनुमति नहीं होगी। अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने दिशा-निर्देशों में बदलाव का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि इससे खुदरा व्यापारियों को भी प्रतिस्पर्द्धा में आसानी होगी।