नई दिल्ली। भारतीय गणतंत्र की 67वीं सालगिरह पर मोदी सरकार का फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलांदे को मुख्य अतिथि के रुप में निमंत्रण देना राजनयिक संबंधों में तुरुप का इक्का माना जा रहा है। राष्ट्रपति होलांदे को मुख्य अतिथि बनाकर भारत ने पांचवी बार फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष को यह सम्मान दिया है।
अपनी भारत यात्रा के दौरान भारतीय मीडिया से बात करते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति होलांदे ने पेरिस में हुए आंतकी हमले के बाद केंद्र सरकार और भारतीय नागरिकों के समर्थन एवं सहयोग का जिस तरह जिक्र किया, उससे स्पष्ट है कि फ्रांस कूटनीतिक रूप में भारत के और करीब आया है।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंक की लड़ाई में खुल कर फ्ऱांस का सहयोग हासिल किया है और अब कोई भी भारत विरोधी राजनैतिक दल के लिए फ्रांस में चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। इसके अलावा भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए की जा रही दावेदारी भी और मजबूत हुई है।
कारण यह भी है कि फ्रांस सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य है और उसके पास किसी भी अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर वीटो का अधिकार है। फ्रांस के साथ बढ़ती निकटता की वजह से भारत की दावेदारी और मजबूत हुई है। उम्मीद की जा रही है कि अब फ्रांस भी भारतीय दावेदारी को अपना समर्थन देने में किसी भी तरह का संकोच नहीं करेगा ।
दोनों देशों की बढ़ती निकटता का लाभ परमाणु सहयोग के रूप में भी आगामी दिनों में नजर आएगा ढ्ढ कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जैतापुर पर परमाणु संयत्र लगाने और परमाणु ईंधन देने के लिए फ्रांस तैयार हो गया है। जबकि कुछ सालों पहले तक देश में चल रहे परमाणु रिएक्टर के लिए ईंधन उपलब्ध करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री से लेकर रक्षा मंत्री को एड़ी से छोटी तक का जोर लगाना पड़ा था। उसके बाद भी फ्रांस ने ईंधन देने के लिए अपनी सहमति नहीं दी थी। फि़लहाल भारत के फ्रांस के साथ बेहतर संबंध देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाभ पहुंचा सकते हैं और इसका सकारात्मक असर आने वाले दिनों में दिखाई देने लगेगा ढ्ढ