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भारत बंद के बहाने सोनिया गांधी ने राहुल को बना दिया गठबंधन का नेता!

नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेस ने सोमवार को मोदी सरकार के खिलाफ संयुक्त विपक्ष का भारत बंद बुलाया था।  यह भारत बंद कांग्रेस ने बुलाया, लेकिन विपक्ष के तमाम बड़े नेता मंच पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मौजूद रहे। थोड़ी देर बाद यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की मंच पर एंट्री हुई, लेकिन उन्होंने मंच से न तो कोई भाषण दिया और न ही वहां पर ज्यादा देर रुकीं।

सवाल है कि क्या सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपने के बाद विपक्ष की भी जिम्मेदारी उन्हीं को सौंप दी है।

सवाल इसलिए भी अहम है, क्योंकि सोनिया गांधी मंच पर आईं तो जरूर, लेकिन चुपचाप बैठी रहीं, एक आध-बार पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से बातचीत जरूर करती दिखीं। मंच पर तो राहुल गांधी ने ही विपक्ष के सारे नेताओं से बात की और उनके बोलने का क्रम निर्धारित किया।
भारत बंद की शुरूआत से पहले वरिष्ठता के क्रम को देखते हुए सबसे आखिर में शरद पवार को भाषण देने के लिए बुलाया गया।

उसके ठीक बाद राहुल गांधी ने भाषण दिया। कांग्रेस की ओर से यह दिखाने की कोशिश की गई कि गठबंधन का सबसे बड़ा नेता बाद में बोलता है और इस गठबंधन का चेहरा राहुल गांधी ही हैं। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी कुछ देर तक विपक्ष के नेताओं के बीच बैठीं जरूर, लेकिन सबकुछ ठीक-ठाक देख मंच की जिम्मेदारी राहुल गांधी को सौंप वह घर चलीं गईं।

भारत बंद में शिरकत करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी मानसरोवर यात्रा खत्म कर दिल्ली लौटे और तुरंत राजघाट का रुख किया। उनकी पार्टी के दिग्गज नेता पहले से ही राजघाट पर मौजूद थे और साथ ही विपक्ष के नेता भी जुटे थे।

राहुल ने कैलाश मानसरोवर से लाया जल महात्मा गांधी की समाधि पर चढ़ाया। उसके बाद वो विपक्ष के नेताओं के साथ पैदल ही रामलीला मैदान के पास स्थित पेट्रोल पंप पर धरना देने के लिए चल पड़े। राहुल गांधी जब राजघाट से पैदल चले थे तो सबकी नजरें इस पर टिकीं थी कि उनके साथ विपक्ष के कितने दल शामिल हैं।

सोनिया गांधी अध्यक्ष पद से रिटायर होने के बाद राजनीति में उस कदर सक्रिय नहीं हैं, ऐसे में वो देर-सबेर राहुल गांधी को ही सबकुछ सौंप देंगी। ये कयास तो पहले से ही लगाए जा रहे थे। सोनिया ने अध्यक्ष पद की कुर्सी पिछले साल दिसंबर में राहुल को सौंप दी थी। लेकिन अब विपक्ष के साथ तालमेल बनाने की जिम्मेदारी भी जिस तरह उन्होंने राहुल के हवाले की है। इससे सोनिया गांधी के रिटायरमेंट के कयास भी लगने लगे हैं।

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