न्यूज नजर : अहंकार के अंत का काल निश्चित होता है और इसका शुभारम्भ अहंकार की अति के साथ ही हो जाता है। अहंकार, आग के अंगारे बरसा कर समूचे व्यवस्था तंत्र को जब राख बना डालता हैं तो, वो राख हवा
से उडकर सर्वत्र अपनी बर्बादी को प्रमाणित कर देती हैं और वो राख जब अहंकारी की आंखों में गिरती है तब वो तिलमिला कर उन कार्यो की ओर अग्रसर होता है जो उसके पतन के अंत की शुरुआत कर देते हैं और शनै शनै अहंकारी शक्तियों के समूचे तंत्र का जड़ से उखाड़ फेंक देते हैं।
वर्षा का पानी जब प्रलय की ओर बढता है तो वो समूचे तंत्र को भारी विपदाओं में डाल देता है और जन जीवन अस्त व्यस्त करता हुआ अहंकारी को संदेश देता है कि हे मानव अहंकार से सब कुछ मिट जाता है और अहंकार और अहंकारी का अंत मेरी तरह हो जाता है। मेरा अंत बादल की समाप्ति कर देते हैं उसी प्रकार तेरा अंत पीडितो की घुटन की कसमसाहट कर देंगी।
सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश से उठे बादलों के भारी सैलाब का समापन सावन मास के अंत तक हो जाता है और बादलों का सैलाब खत्म हो जाता है और छोटे छोटे बादलो के झुंड गरज कर फिर डराते हैं लेकिन उन में इतना दम नहीं होता है कि वो सब कुछ मिटा दे।
धार्मिक कथाओं में भी यही संकेत मिलते हैं कि जब कंस के अत्याचार बढ़ गये, तब उस कंस के कुशासन का अंत करने के लिए कृष्ण ने अवतार लिया और कंस का अंत कर नयी व्यवस्था का श्री गणेश किया ।
सावन के जल से बाद भाद्रपद मास अव्यवस्था को नियंत्रित करता है और सर्वत्र अवतारों के सम्मान में खुशियों के मेले लगते हैं और नई व्यवस्था का नया शुभारंभ होता है।
भाद्रपद मास को धार्मिक उत्सव व पर्वो का मास माना जाता है। इस मास मे श्री कृष्ण जन्माष्टमी, कजली तीज, हर तालिका तीज, गणेश चतुर्थी, राजस्थान में बाबा रामदेव जी का प्रसिद्ध मेला रूणीचा पोकरण जैसलमेर, गोगाजी का गोगा मेढी मेला, तेजाजी का मेला व धूप दसमी आदि इसी मास में मनाया जाता है ।
संत जन कहते हैं कि हे मानव यह जगत चुनौतियां का अखाड़ा होता है। सृष्टि काल से ही इस अखाडे में हर युग युग ने इन चुनौतियों पर सदा विजय पाई है और हर युग इन चुनौतियों से बहुत कुछ सीख गया है और हर युग अपनी विकास की चरम सीमा पर पहुँच गया। अंहकार पर सदा नम्रता ने विजय पाई है।
इसलिए हे मानव तू नम्र बन कर चुनोतियो का मुकाबला कर। हर संकट शनै शनै खत्म हो जायेंगे और तू फिर नये अवतार मे खुशियों के मेले में आनंदित हो जायेगा।