भोपाल। मध्यप्रदेश ने डिजीटलाइजेशन में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन करने का काम शुरू कर दिया है। राज्य में आगामी एक अप्रैल से सभी राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन कर दिया जाएगा। साथ ही खसरे की नकल भी ऑनलाइन ही मिलेगी। इस सिलसिले में सभी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। नई व्यवस्था के तहत 1 अप्रैल से काम करना शुरू हो जाएगा। इससे पक्षकार और वकील अपने प्रकरणों की वस्तु-स्थिति ऑनलाइन देख सकेंगे। वे प्रकरणों से संबंधित आदेशों का अवलोकन कर सकेंगे और घर बैठे प्रिंट भी ले सकेंगे। इसके लिये सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया गया है। राजस्व न्यायालय से संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। एक अप्रैल से कुछ जिलों में प्रायोगिक रूप से यह शुरू हो जाएगा। यह जानकारी मंत्रालय में राजस्व विभाग की समीक्षा में दी गई।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजस्व प्रशासन संबंधी गतिविधियों की समीक्षा करते हुए कहा कि गरीब कल्याण वर्ष 2016 में आवासहीन लोगों को आवासीय भूमि पर पटटे दिये जाएगे। इसके लिये अभियान चलाया जाएगा।
आधुनिकीकरण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए
मुख्यमंत्री ने राजस्व रेकार्ड के आधुनिकीकरण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में आधुनिक राजस्व रेकार्ड रूम नहीं हैं वहाँ निर्माण की प्रक्रिया जल्दी शुरू करें। आम लोगों की सहूलियत के लिये उनका उपयोग करें। ऐसे जिलों के कलेक्टरों को जिम्मेदार ठहराया जायेगा जहॉ आधुनिक रेकार्ड रूम की स्थापना के बावजूद लोकहित में उनका उपयोग नहीं हो रहा है।
चौहान ने नक्शाविहीन गाँवों के नक्शे छह माह के भीतर तैयार करने के निर्देश दिये। अभी शेष रह गये 170 गाँवों के नक्शे तैयार किये जा रहे हैं। श्री चौहान ने कहा कि जो जिले इस काम में रूचि नहीं ले रहे हैं वहां के संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करें।
राजस्व अमले की पूर्ति संविदा नियुक्ति से होगी
चौहान ने कहा कि राजस्व प्रशासन संबंधी कार्यकलापों का विस्तार और राजस्व अमले की कमी को देखते हुए जब तक शासन द्वारा तहसीलदार, नायब तहसीलदार, एएसएलआर और पटवारियों की नियुक्ति नहीं होती तब तक संविदा आधार पर सेवानिवृत्त तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और पटवारियों की सेवाएँ ली जायेंगी। इससे उनके अनुभव का लाभ मिलेगा और तात्कालिक रूप से राजस्व अमले की कमी पूरी होगी।