बैतूल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के एक निजी मेडिकल कॉलेज के छात्र को अमानवीय प्रताड़ना देकर आत्महत्या करने के लिए उकसाने वाली गिरोह की मुखिया सहित तीन आरोपी अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे बैतूल जिले के निवासी यश पाठे ने प्रताड़ना के कारण 13 जून की रात बैतूल के चंद्रशेखर वार्ड में अपने मौसेरे भाई के घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। छात्र की मौत के बाद परिजन ने रैगिंग और आधा दर्जन लोगों पर मारपीट करने का आरोप लगाया था।
बैतूल की कोतवाली पुलिस ने घटना के 11 दिन बाद एक युवती समेत पांच लोगों के खिलाफ अापराधिक प्रकरण दर्ज कर दो आरोपियों गौरव दुबे और आकाश सोनी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने विवेचना के बाद पाया कि छात्र यश पाठे की बेरहमी से पिटाई करने वाली गिरोह की सरगना भोपाल में पदस्थ रहे सेवानिवृत्त आला अधिकारी की बेटी श्रुति शर्मा है। उसके साथ भोपाल निवासी शालीन उपाध्याय और सतना निवासी कार्तिक खरे भी फरार हैं।
इस गिराेह में कॉलेज के सीनियर छात्रों के अलावा बाहरी लोग भी शामिल हैं, जो छात्रों को धमकाकर रुपए वसूल कर अपने शौक पूरा करते हैं। पुलिस ने यह भी खुलासा किया है कि गैंग की मुखिया श्रुति शर्मा को लेडी डॉन बनने की चाहत है और इसी के कारण वह अपना रसूख दिखाकर कॉलेजों में अपनी धमक बनाती रहती है।
छात्र की पिटाई का एक वीडियो भी वायरल हुआ है। छात्र की पिटाई के वीडियो में एक युवती किसी मामले को खत्म करने की धमकी दे रही है। पुलिस की थ्यौरी यह है कि मृतक यश पर 10 हजार रुपए चुराने का आरोप लगाया गया था और इसी के कारण उसकी पिटाई की गई, लेकिन इस वीडियो में रुपए को लेकर कोई वार्तालाप ही नहीं हो रहा बल्कि किसी मामले को खत्म करने का दबाव बनाया जा रहा है।
मृतक छात्र के पिता प्रहलाद पाठे का कहना है कि उन्होंने कॉलेज प्रशासन के भरोसे बेटे को छोड़ा था और यदि वहीं बाहरी लोग उसे टार्चर करने पहुंच रहे थे तो इसमें पूरी तरह से प्रबंधन दोषी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपित लोग बेहद प्रभावशाली परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। श्रुति शर्मा के पिता रीवा के रहने वाले हैं और वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं। एक आरोपित किसी टेक्सटाइल मिल के मालिक का बेटा बताया जा रहा है। पुलिस को सूक्ष्मता के साथ जांच कर गुनहगारों को सजा दिलानी चाहिए।
कोतवाली के थाना प्रभारी राजेश साहू का कहना है कि गिरोह की सरगना समेत अन्य फरार आरोपियों की तलाश करने के लिए पुलिस की टीम भोपाल भेजी गई है। रैगिंग का मामला पहले ही सुलझ चुका है। इस कारण कॉलेज प्रबंधन को जांच के दायरे में शामिल नहीं किया गया है।