गया। बिहार में गया जिले के कोंच थाना क्षेत्र में सोनडीहा गांव के निकट बुधवार रात एक चिकित्सक की पत्नी और पुत्री के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में राजनीतिक लाभ उठाने केे लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता घटिया हरकत पर उतर आए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि रेप पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जाए लेकिन इन नेताओं ने पीड़ित मां-बेटी को मीडिया के सामने पेश कर दिया, उनके साथ जबरदस्ती फोटो खिंचवाए और थोथी हमदर्दी दिखाकर उन्हें साथ लेकर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया। अब उनकी यह हरकत उन्हें ही महंगी पड़ गई है। पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर पुलिस ने आज राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की।
पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि राजद के प्रधान महासचिव आलोक मेहता, राजद महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष आभा लता, बेलागंज के विधायक सुरेन्द्र यादव, राजद जिला अध्यक्ष निजाम आलम, राजद जिला महिला अध्यक्ष सरस्वती देवी को मगध मेडिकल थाने में पीड़िता से जबरदस्ती मिलने, फोटो खिंचवाने और उनकी पहचान उजागर करने के आरोप में नामजद अभियुक्त बनाया गया है। इसके अलावा आठ-दस अन्य लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। कोंच थाने के अवर निरीक्षक (एसआई) राजकुमार यादव के बयान पर राजद नेताओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है।
सूत्रों ने बताया कि अनुग्रह नारायण मगध मडिकल कॉलेज अस्पताल (एएनएमसीएच) में मेडिकल जांच के लिए गयी नाबालिग पीड़िता को राजद नेताओं ने पुलिस गाड़ी से जबरदस्ती नीचे उतारकर उसके साथ फोटो खिंचवाये और प्रदर्शन किया।
बताया जाता है कि पीड़िता को सैकड़ों लोगों की भीड़ में खड़ा करके जबरदस्ती दुष्कर्म की कहानी सुनाने के लिए कहा गया। इस मामले की जांच के लिए राजद की ओर से चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल गया पहुंचा। दौरे के बाद दल को एक रिपोर्ट तैयार कर राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को सौंपनी थी।
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