पिछले साल फ्रीडम 251 के बारे में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने बड़े स्कैम की आशंका जताई और सरकार से मिलीभगत के आरोप लगाए थे।
मामला गरमाने पर कंपनी ने दावा किया था कि वह जल्द ही अपने ग्राहकों को मोबाइल की डिलेवरी करा देगी। इसके बाद पुलिस और ईडी ने मामले की पड़ताल शुरू की और कंपनी के प्रमोटर अंडरग्राउंड हो गए। इसके बाद रिंगिंग बेल्स के खिलाफ शिकायतों का दौर शुरू हो गया और इसके नोएडा ऑफिस पर ताला लटक गया।
गाजियाबाद के एक डीलर की शिकायत पर पुलिस ने मोहित गोयल के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। 24 फरवरी, 2017 को गोयल की गिरफ्तारी हुई थी।
डीलर ने शिकायत में बताया था कि रिंगिंग बेल्स ने नवंबर, 2015 में फ्रीडम 251 के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए उन्हें अप्रोच किया। इसके बाद कई मौकों पर कंपनी को 30 लाख रु. दिए, पर सिर्फ 13 लाख का ही माल मिला। बकाया रकम मांगने पर उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गईं।
नोएडा की कंपनी रिगिंग बेल्स तब सुर्खियों में आई थी, जब उसकी ओर से वेबसाइट पर फरवरी, 2016 में सिर्फ 251 रुपए में मोबाइल बुक कराए जा रहे थे।
नवंबर, 2016 में कंपनी ने 251 रुपए वाले 2 लाख फोन डिलिवर करने का दावा किया था। हालांकि, उसकी यह बात साबित नहीं हो पाई। पोंजी स्कैम के आरोप लगने पर कंपनी ने कहा था कि 7 करोड़ लोगों ने दुनिया के सबसे सस्ते 3G फोन (फ्रीडम 251) के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। जिनमें से करीब 30,000 ने फोन बुक किया था। इसके बाद बुकिंग बंद हो गई।