ग्वालियर। ऐतिहासिक रतनगढ़ माता मंदिर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश का विशालतम एवं सबसे वजनी घण्ट अर्पित किया। अर्पण से पहले चौहान ने सपत्नीक घण्ट की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा रतनगढ़ माता मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए हर संभव सुविधाएं जुटाई जाएंगी।
ग्वालियर-चंबल अंचल सहित सम्पूर्ण बुंदेलखण्ड क्षेत्र के आस्था का केन्द्र पवित्र रतनगढ़ माता मंदिर दतिया जिले के अंतर्गत पर्वतीय एवं वनांचल क्षेत्र में एक सुरम्य पहाड़ी पर स्थित है।
घण्ट की स्थापना के बाद मुख्यमंत्री चौहान ने अपनी धर्मपत्नी साधना सिंह के साथ माता मंदिर एवं कुंअर बाबा मंदिर में पहुँचकर पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र एवं स्थानीय सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पवित्र रतनगढ़ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिये सुविधाएं जुटाने में सरकार धन की कमी नहीं आने देगी।
मंदिर तक श्रद्धालु सुविधाजनक तरीके से पहुँच सकें, इसके लिए सिंध नदी पर पहले से बने पुल के समानान्तर एक और पुल बनाया जाएगा। साथ ही गौराघाट से मंदिर तक सभी सड़कों का निर्माण किया जाएगा। चौहान ने कहा कि मंदिर परिसर में यात्रियों के लिए धर्मशाला का निर्माण भी कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सब कार्यों के लिए जल्द ही कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
इस मौके पर विधायक भारत सिंह कुशवाह, घनश्याम पिरौनिया व प्रदीप अग्रवाल, जिला पंचायत ग्वालियर की अध्यक्ष मनीषा यादव व दतिया जिला पंचायत की अध्यक्ष रजनी प्रजापति, दतिया नगर पालिका के अध्यक्ष सुभाष अग्रवाल, संभाग आयुक्त के. के. खरे, पुलिस महानिरीक्षक चंबल रेंज उमेश जोगा, कलेक्टर दतिया प्रकाश जांगरे सहित स्थानीय जनप्रतिनिधिगण, वरिष्ठ अधिकारी एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
50 क्विंटल वजन
ऐतिहासिक रतनगढ़ माता मंदिर पर अर्पित किया गया यह अनूठा एवं आकर्षक घण्ट लगभग २१ क्विंटल वजनी है। देश के किसी भी मंदिर में स्थापित यह सबसे बड़ा घण्ट बताया जा रहा है। इसे टांगने के लिए लगाए गए एंगल व उन पर मढ़ी गई पीतल और घंट के वजन को जोड़कर लगभग 50 क्विंटल वजन होता है।
इस घण्ट को संभाग आयुक्त खरे की पहल पर प्रख्यात मूर्ति शिल्पज्ञ प्रभात राय ने तैयार किया है। उन्होंने बताया कि घण्ट से मधुर ध्वनि पैदा हो, इसके लिए इसमें टिन धातु का उपयोग विशेष रूप से किया गया है। घण्ट के निर्माण में 55 प्रतिशत से अधिक तांबा और 35 प्रतिशत के लगभग जिंक तथा अन्य धातुओं का उपयोग किया गया है।
भक्तजनों की भावनायें जुड़ीं हैं घंट से
संभाग आयुक्त खरे ने बताया कि इस बड़े घंट में उन श्रद्धालुओं व भक्तजनों के अंश व आस्थाएँ शामिल हैं, जो पहले मंदिर में छोटे-छोटे घंट चढ़ाकर गए हैं। रतनगढ़ माता मंदिर परिसर में जमा इन छोटे-छोटे घंट को गलाकर इस घंट को तैयार किया गया है।
डकैतों की आस्था का केंद्र रहा है मंदिर
चंबल के डकैतों की श्रद्धा का भी ये मंदिर खास केंद्र रहा है। जगजीवन परिहार हो या गड़रिया बंधुओं का दुर्दांत गिरोह, इस मंदिर में सभी ने घंट चढ़ाए हैं। ऐसी मान्यता है कि दतिया के रतनगढ़ माता मंदिर में घंट चढ़ाने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है। यहां डकैतों के साथ ही श्रद्धालु भी घंटे चढ़ाते आए हैं।
सपत्नीक अपने हाथों से खिलाया कन्याओं को भोजन
मुख्यमंत्री चौहान ने पत्नी साधना सिंह के साथ कन्याओं को भोजन भी कराया।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री चौहान ने अपने कार्यकाल में लड़कियों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की और नवरात्रि के अवसर पर वे अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ कई बार कन्याओं को भोजन करा चुके हैं।
रतनगढ़ मंदिर परिसर में यह पहला मौका था, जब उन्होंने कन्याओं को भोजन कराया। लड़कियां भी अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री को भोजन परोसते देखकर खुश हुईं। इसके पहले भी मुख्यमंत्री दतिया स्थित पीतांबरा पीठ में भी कन्याओं को भोजन करा चुके हैं।