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खेल-खेल में पलंग के नीचे छिपी तो बच गई मासूम की जान, पढ़ें क्या है माजरा

 

जालंधर। मकसूदां के नागरा रोड स्थित एक हार्डवेयर पेंट स्टोर मालिक के घर की पहली मंजिल पर आग लग गई। आग किराएदार मनोज कुमार पुत्र परवेश्वर के कमरे में लगी। इसमें गनीमत रही कि एक बच्ची खेल-खेल में पलंग के नीचे छिपने के कारण बच गई। पूरा हादसा जानने के लिए आगे बढ़ते हैं-

 

किराएदार मनोज ने बताया कि वे पिछले 6 साल से उक्त मकान में किराए पर रह रहे हैं। उसके 4 बच्चे हैं।
वह मकान मालिक की दुकान पर ही काम करता है और सुबह करीब 9 बजे काम पर गया था जबकि उसकी पत्नी निर्मला जो लोगों के घरों में काम करती है, वह भी काम पर गई हुई थी।

 

उनकी 2 बेटियां पूजा (4) और अढ़ाई वर्षीय ज्योति घर पर ही थीं तथा 2 बच्चे सूरज (7) व खुशबू (11) स्कूल पढऩे के लिए गए हुए थे। मनोज ने बताया कि उसके कमरे से अचानक धुआं निकलता देख पड़ोस में रहतेे दलजिन्द्र सिंह ने बरामदे पर मौजूद अढ़ाई साल की ज्योति को नीचे ले आए और तुरन्त फायर ब्रिगेड को फोन कर घटना की सूचना दी।

आग लगने की सूचना मिलने पर पड़ोस के लोग भी आ गए और उन्होंने बाल्टियों में पानी भर कर आग बुझाने की कोशिश शुरू कर दी। थोड़ी देर में फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां भी मौके पर पहुंच गई लेकिन गली में बिजली की तारों के काफी नीचे होने से फायर ब्रिगेड मुलाजिमों को तार हटाने में करीब 20 मिनट लग गए।

 

फायर ब्रिगेड की 3 गाडिय़ों के साथ कर्मचारियों ने 1 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया लेकिन 4 वर्षीय पूजा का कुछ पता नहीं चल रहा था।
मौके पर विधायक बावा हैनरी, इलाका कौंसलर व पूर्व विधायक के.डी. भंडारी भी पहुंचे थे।

घर की छत पर आग लगने के एक घंटे बाद जब सहमी व बेसुध हुई मां निर्मला अपनी 4 वर्षीय बच्ची को ढूंढने आग वाले कमरे में गई तो उसे वहां न पाकर वह चीख-चीख कर बेहाल हो गई।

इसी बीच कमरे के बाहर पड़े बैड के पास जब वह खड़ी हुई तो नीचे से अचानक उसकी 4 वर्ष की पूजा जोकि बुरी तरह से सहमी हुई थी, ने अपनी मां के पांव पकड़ लिए। तब जाकर मां की जान में जान आई। इतने में मौके पर पहुंची थाना-1 की प्रभारी आई.पी.एस. अश्विनी गोटियाल व ए.एस.आई. जगदीश कुमार ने सहमी हुई बच्ची को उसके मां-बाप को सौंप दिया। पुलिस अधिकारी गोटियाल ने जब बच्ची से पूछा कि वह बैड के नीचे कैसे पहुंची तो उसने बताया कि वह खेल-खेल में बैड के नीचे छुप गई थी जिस कारण उसकी जान बच गई।

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