श्योपुर। कराहल ब्लॉक के भेला भीमलत गांव में आदिवासी समाज की पंचायत ने एक विधवा पर 5 हजार रुपए जुर्माना लगा दिया। दाने-दाने के लिए मोहताज 3 बच्चों की मां इस विधवा के लिए जुर्माना भरना मुमकिन नहीं था तो उसे गांव छोड़ना पड़ा। जुर्माना किस ‘गलती’ के लिए लगाया था, इसकी वजह भी चौंकाने वाली है।
दरअसल आदिवासी महिला फूलो के पति की दो महीने पहले बीमारी से मौत हो गई। उसके 3 बच्चे हैं। भूख से बिलखते बच्चों का पेट पालने के लिए फूलो ने मेहनत मजदूरी करने की ठानी। विधवा फूलाे आदिवासी जब मेहनत मजदूरी करने के लिए घर से बाहर निकली तो समाज की पंचायत ने 5 हजार का जुर्माना ठोक दिया। पंचायत का कहना था कि विधवा अकेली घर से बाहर क्यों निकली।
पाई-पाई के लिए मोहताज फूलो जुर्माना भरने में सक्षम नहीं थी तो उसने गांव छोड़ना मुनासिब समझा।
यह मामला सुर्खियों में आने पर महापंचायत ने मामले में दखल देने का फैसला किया। विगत कई दिनों से शराबबंदी व अन्य कुरीतियों के खिलाफ प्रगतिवादी निर्णय लेने वाली महापंचायत ने फूलो की मदद करने का ऐलान किया।
आदिवासी महापंचायत के उपाध्यक्ष सतीश आदिवासी का कहना है कि विधवा महिला घर की मुखिया होने के नाते अकेले काम पर जा सकती है। हमारी महापंचायत की तरफ से ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। गांव स्तर पर आदिवासी पंचायतों ने कुछ अलग फैसले ले लिए हैं। जिससे महिलाओं को परेशानी हो रही है। भेला भीमलत गांव जाकर फूलो के बारे में पता लगाएंगे। उसे ढूंढ़कर हम आर्थिक मदद भी मुहैया कराएंगे। साथ ही आदिवासी पंचायत के लोगों को भी समझाएंगे।