लिमासोल। आपने पढ़ा होगा कि मिस्र की महारानी क्लियोपेट्रा अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए गधी के दूध से स्नान करती थी। अब एक शोध में खुलासा हुआ है कि इस दूध में मौजूद एंटी एलर्जिक तत्व अस्थमा तथा सर्दी, जुकाम से पीडित बच्चों के लिए भी बेहद फायदेमंद है।
साइप्रस के लिमासोल स्थित साइप्रस यूनीवर्सिटी आफ टेक्नालाजी में डेयरी साइंस विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक प्रोफेसर फोटिस पैपडिनास ने हाल ही में प्रकाशित अपने एक नए शोध में कहा कि कुछ पीढियों पहले तक कुछ देशों में छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम होने पर गधी का दूध ही देते थे लेकिन धीरे धीरे लोगों ने इसे छोड़ गाय के दूध को तरजीह देना शुरू कर दिया।
वैज्ञानिकों का मानना है कि गधी के दूध में औषधीय गुण होते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में विटमिन पाया जाता है साथ में बैक्टीरिया रोधी प्रोटीन तथा एंटी एलर्जिक पदार्थ पाया है जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ा देता है।
पैपडिमास कहते हैं कि यह कहना गलत नहीं होगा कि गधी के दूध केगुण मां के दूध से काफी मिलते जुलते हैं क्योंकि इंसान की ही तरह गधों में भी सिंगल चेम्बर्स स्टमक होता है जबकि गाय और बकरी का पेट फोर चेम्बर्ड होता है और कई तरह के वैक्टीरिया इनके खाने को पचाने में सहायक होते हैं।
वैज्ञानिक कहते हैं कि शायद इसी वजह से गधी का दूध गाय के दूध की तुलना में ज्यादा पौष्टिक तथा कीटाणु रहित होता है। शोध में शामिल एक अन्य वैज्ञानिक माइकल स्टीफन कहते हैं कि यह दूध एकिजमा जैसे त्वचा संबंधी रोगों में भी बेहद कारगर साबित हुआ है।