न्यूज नजर : फाल्गुन आ चुका है। फाल्गुनी बयार तन-मन को झुमाने लगी है। इस बार 1 मार्च को होली है और उससे आठ दिन पहले 23 फरवरी को होलाष्टक लगेगा। यानी शुभ कार्यों पर आठ दिन के लिए विराम रहेगा।
होलाष्टक संबंधी पौराणिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन अर्थात पूर्णिमा तक होलाष्टक रहता है।
माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव ने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था। इसलिए इसी दिन से होलाष्टक की शुरुआत हुई।
होलाष्टक की विशेषता यह है कि होलिका पूजन करने के लिए होली से आठ दिन पूर्व होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखी खास, सूखे उपले, सूखी लकड़ी व होली का डंडा स्थापित कर दिया जाता है। जिस दिन यह कार्य किया जाता है, उस दिन को होलाष्टक प्रारंभ का दिन भी कहा जाता है।
जहां होली का डंडा गाड़ा जाता है वहां होलाष्टक से लेकर होलिका दहन के दिन तक प्रतिदिन कुछ लकडि़यां इकट्ठी कर डाल दी जाती है। इस प्रकार होलिका दहन के दिन तक यहां लकडियों का ढेर बन जाता है। फिर मोहल्ले के सभी निवासीजन होलिका दहन करके अच्छे जीवन की कामना करते है और बच्चों की मंडली होली खेलने में रम जाते हैं। 5 दिनों तक मनाए जाने वाले होली के इस पावन पर्व पर सभी के घरों में गुझिया, भजिए-श्रीखंड और पूरन-पोली बनाकर होली त्योहार मनाया जाता है।
इन कार्यों पर रहेगी रोक
जिस स्थान पर होली का डंडा स्थापित किया जाता है, वहां के संबंधित क्षेत्रों में होलिका दहन होने तक कोई शुभ कार्य संपन्न नहीं किया जाता। इन आठ दिनों में मांगलिक कार्य, गृह निर्माण और गृह प्रवेश आदि के सभी कार्यों पर रोक रहेगी।